मॉस्को- 31 अगस्त। भारत की राजधानी नई दिल्ली में सितंबर में प्रस्तावित जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भाग लेंगे। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि लावरोव जी-20 शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का प्रतिनिधित्व करेंगे।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अगले माह नौ एवं दस सितंबर को दिल्ली में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने जानकारी दी कि उनके स्थान पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि लावरोव नौ सितंबर को आयोजित सतत विकास और स्थिर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर वन प्लैनेट सत्र और दस सितंबर को वन फ़्यूचर सत्र में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और वैश्विक आर्थिक प्रशासन संस्थानों के भीतर वैश्विक बहुमत से संबंधित देशों की भूमिका को मजबूत करने के साथ-साथ डिजिटल परिवर्तन प्राप्त करने के प्रमुख मामलों पर प्रकाश डालेंगे। वे शिखर सम्मेलन के अलावा कई द्विपक्षीय वार्ताएं भी करेंगे।
अफ्रीकी संघ को जी-20 सदस्यता की उम्मीद—
मारिया जखारोवा ने कहा कि रूस इस शिखर सम्मेलन में भारत की जी-20 अध्यक्षता की एकीकृत प्रकृति, विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने और मंच पर रचनात्मक माहौल बनाने की देश की प्रतिबद्धता पर ध्यान देना चाहेगा। शिखर सम्मेलन में अफ़्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार करने पर निर्णय होने की उम्मीद है। इस कदम का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि रूस इस पहल का समर्थन करने वाले पहले देशों में से था और इसे आगे बढ़ाने में योगदान भी दिया है।
सामूहिक पश्चिम की ओर से कृत्रिम बाधाएं—
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि सामूहिक पश्चिम द्वारा अपनाई गई टकराव की नीति कृत्रिम बाधाएं पैदा कर रही हैं, जो जी-20 समूह को अपनी रचनात्मक क्षमता को उजागर करने से रोकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस एवं चीन विरोधी जानकारी फैलाने के प्रयास तनाव का एक विशेष स्रोत रहे हैं। यह पूरा समूह हर तरह की गंदी चालें चल रहा है और जी-20 के भीतर एक आमसहमति नियम का अवमूल्यन करने और बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के रूप में इस मंच पर संदिग्ध जी-7 समझौतों के विस्तार के प्रयास हो रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंडे का हो रहा यूक्रेनीकरण—
रूस की ओर से कहा गया कि अमेरिका सहित तमाम देशों ने अंतरराष्ट्रीय एजेंडे का यूक्रेनीकरण कर दिया है। इसे समझाते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के यूक्रेनीकरण का अर्थ है, यूक्रेन संकट से संबंधित वास्तविक चुनौतियों, इसके कारणों और इसे हल करने के तरीकों को पहचानने से इनकार करना। उन्होंने कहा कि ये देश हर जगह के एजेंडे में इस विषय को शीर्ष पर रखना चाहते हैं, भले ही चर्चा में उसका कोई स्थान न हो। शिखर सम्मेलन में रूस सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में अपने सैद्धांतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा।
