नई दिल्ली- 31 जनवरी। दिल्ली हाई कोर्ट ने लड़का और लड़की दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र एकसमान करने की मांग को लेकर दायर याचिका से संबंधित फाइल सुप्रीम कोर्ट में तत्काल भेजने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को इस मामले को अपने पास ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट में याचिका भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि युवतियों की शादी की उम्र 18 वर्ष करना भेदभाव के बराबर है। युवक एवं युवतियों की शादी की न्यूनतम आयु में फर्क करना हमारे पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को दर्शाता है। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है। यह प्रावधान युवतियों के साथ भेदभावपूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि पुरुषों की शादी करने की उम्र 21 वर्ष है जबकि महिलाओं की शादी की उम्र 18 वर्ष है। यह प्रावधान लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है यह एक सामाजिक सच्चाई है कि शादी के बाद महिला महिला को अपने पति से कम आंका जाता है और उसमें उम्र का अंतर और भेदभाव बढ़ाता है। याचिका में युवक और युवती दोनों की शादी करने की न्यूनतम उम्र एक समान 21 वर्ष करने की मांग की गई है।
