मॉस्को- 19 जनवरी। भारत-चीन के संबंधों में तनाव पैदा करने के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों के समूह नाटो पर आरोप लगाया है। लारोव ने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो संगठन दोनों देशों के बीच नई समस्या पैदा करने का प्रस्ताव भारत को दे रहा है।
एक संवाददाता सम्मेलन में लारोव ने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश इंडो-पेसिफिक की अवधारणा को मनमाने अर्थ दे रहा है।
रूस का कहना है कि नाटो यूरोपीय महाद्वीप तक सीमित नहीं है। इसके जून 2022 में आयोजित मैड्रिड शिखर सम्मेलन में घोषणा की गई कि सैन्य गुट की पूरे विश्व में जिम्मेदारी है और एशिया-प्रशांत जिसे नाटो भारत-प्रशांत कहता है, में इसकी विशेष जिम्मेदारी है।
लावरोव ने इससे पहले कहा था कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत क्षेत्र रणनीति से रूस-भारत के बीच करीबी साझेदारी प्रभावित नहीं होगी। रूस भारत का मित्र है। रूस चाहता है कि भारत और चीन दोनों शांति से रहें और एससीओ एवं ब्रिक्स इसी उद्देश्य के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि रूस, चीन और भारत त्रिपक्षीय संबंध बना सकते हैं। दीगर है कि अप्रैल 2020 में गलवान में चीनी घुसपैठ की कोशिश के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव चल रहा है।
चीन वर्तमान में दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में स्वामित्व के विवादों में उलझा हुआ है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा जताता है जबकि वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान अपने-अपने दावे जताते हैं। इससे पहले चीन भी ऑकुस (ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड) और अप्रत्यक्ष रूप से क्वाड (अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान) गठबंधन की आलोचना कर चुका है।
अमेरिका और इसके सहयोगियों का सामना करने के लिए चीन और रूस अपनी साझेदारी बढ़ा रहे हैं। भारत इस क्षेत्र में मुक्त आवागमन, मुक्त कनेक्टिविटी और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान का पक्षधर है।
