मधुबनी- 08 जनवरी। बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुए जाति आधारित जनगणना के पहले चरण के तहत गणना शुरू हो गया। बड़े पैमाने पर राज्य में स्कूलों के शिक्षकों को लगाया गया है। ताकि समय पर गणना का कार्य पुरा कर लिया जाए। जाति आधारित गणना करवाने राज्य के हर जिलों में जिला प्रशासन जुट गया है। सभी स्टेक होल्डर्स सजग, तत्पर और सतर्क रहकर इस कार्य का संचालन कर रहे हैं। इस जाति आधारित जनगणना में मकान नम्बरीकरण और संक्षिप्त गृह पंजी को तैयार किया जाना है।

प्रथम चरण की अंतिम तिथि 21 जनवरी 23 तक है। पंचायत एवं शहरी निकायों के वार्डों को प्रारंभिक इकाई माना गया है। यानी वार्ड को गणना ब्लॉक के रूप में घोषित किया गया है। सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई कुल 204 जातियों की सूची के सत्यापन का कार्य राज्य के जिलान्तर्गत सभी कार्य प्रभारी से किया गया है।

गणना शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो में की जानी है। आंकड़ों का संग्रहण डिजिटल मोड में होना है। अगर किसी वार्ड की जनसंख्या 700 से अधिक है, तो वैसी स्थिति में उप गणना ब्लॉक का निर्माण किया गया है।

प्रथम चरण में कुल नौ प्रकार के प्रपत्र भरे जाने हैं। सभी प्रपत्रों को सही-सही भरा जाए। मकान नम्बरीकरण के बाद मकान सूची को तैयार किया जाना है। इस सूचना के आधार पर मकान गणना के कार्य में घर-घर जाकर गणना का कार्य किया जाएगा, ताकि कोई परिवार या घर गणना के कार्य में नहीं छूटे। जिसे पुरी तरह अमलीजामा पहनने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री “समाधान” यात्रा के दौरान जाति आधारित जनगणना की चर्चा कर रहे हैं और लोगों को जातीय जनगणना के प्रति जागरूक करते देखे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक ही मकसद है कि बिहार में जाति आधारित जनगणना शतप्रतिशत करा लें, ताकि केन्द्र सरकार पर दबाव बनाकर यह जनगणना देश स्तर कर कराया जा सके।
