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अंतरराष्ट्रीय गजल गायक राजकुमार रिजवी का निधन

झुंझुनू- 06 मार्च। अंतरराष्ट्रीय गजल गायक राजकुमार रिजवी का रविवार सुबह 6ः35 बजे मुंबई में निधन हो गया। वह राजस्थान के झुंझुनू जिले के मंडावा कस्बे के रहने वाले थे। रिजवी ने फिल्म लैला मजनूं (1976) के शीर्षक गीत के अलावा कई बॉलीवुड फिल्मों में गानों और गजलों को अपनी आवाज दी। यह जानकारी उनके भतीजे रमजान रिजवी ने दी। देश के जाने-माने अंतरराष्ट्रीय कव्वाल दिलावर बाबू ने भी उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।

गजल गायकी के बादशाह मेहंदी हसन के प्रथम शिष्य राजकुमार रिजवी आखिरी बार अप्रैल 2015 में परिवार सहित मंडावा आए थे। इस दौरान उनकी बेटी गायिका रूना रिजवी और दामाद इंटरनेशनल ड्रम आर्टिस्ट शिवमणी ने रिजवी नाइट का आयोजन किया था। इस नाइट में राजकुमार रिजवी ने हारमोनियम पर साथ दिया था। उन्होंने राजस्थान में म्युजिक एकेडमी खोलने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि मंडावा आकर उन्हें सुखद अहसास होता है।

रिजवी का जन्म संगीत प्रेमी कलाकार घराने में हुआ। संगीत की प्रारम्भिक तालीम उन्होंने पिता उस्ताद नूर मोहम्मद से ली। उनका ताल्लुक कलावंत घराने से था। कम उम्र में ही राजकुमार पिता के साथ दरबार में गाने लगे। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री के सामने गाया और खूब वाहवाही लूटी। राजकुमार को सितार भी बहुत पसंद था। उस्ताद जमालुद्दीन भारती से सितार बजाना सीखा। इसके बाद वह आकाशवाणी पर सितार बजाने लगे। उन्होंने चाचा मेहंदी हसन की तर्ज पर गजल गायकी में दिलचस्पी ली। उनकी गाई गजलों की चर्चा क्षेत्र में होने लगी और उनकी इज्जत भी बढ़ने लगी।

1992 में राजकुमार गजल गाने के सिलसिले में रूस गए। वहीं उनकी मुलाकात मशहूर गायिका इंद्राणी मुखर्जी से हुई। जल्द ही दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद दोनों ने साथ गाना शुरू कर दिया। राजकुमार रिजवी ने राजस्थानी फिल्म मूमल सहित कई फिल्मों में भी गाया है और संगीत भी दिया है। उन्होंने बिरजू महाराज (कथक) और केलुचरण महापात्र (ओडिसी) के लिए कुछ नृत्य धुनें भी तैयार कीं।

गजल गायकी के मसीहा मेहंदी हसन झुंझुनू जिले में जन्मे थे। मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का भी राजस्थान से गहरा रिश्ता रहा है।

राजकुमार रिजवी का पहला एकल गजल गायकी का रिकार्ड सांग्स यू बिल लव था। उसके बाद के उनके एलबम मुसव्विर-ए- गजल, रोमेटिक रिफलेक्शन, रिजवीज इन कॉन्सर्ट, इशरतें आदि आए। वे कहते थे कि मैं गजल की शुद्धता और पद्धति को नहीं छोडूंगा। चाहे मुझे लोकप्रियता की कसौटी पर इसकी कीमत कुछ भी चुकानी पड़े।

राजकुमार कहते थे कि राजस्थान की मांड गायकी तो पूरी दुनिया में बेमिसाल है। इसकी मिठास और जादू हमेशा मेरे दिल में रहता है। सोचता हूं मांड के लिए कुछ करूं। उन्हें सरकार से भी थोड़ी शिकायत थी। वे कहते थे कि अफसोस की बात है कि मांड गायकी जैसी नायाब कला को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कुछ खास नहीं किया।

राजकुमार रिजवी की मृत्यु से मंडावा सहित पूरे झुंझुनू जिले में में शोक की लहर है। चाहने वालों ने खुदा से दुआ की है कि रिजवी साहब को जन्नत नसीब हो।

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