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धार्मिक आस्था के साथ आगे बढ रहा भारत, श्रीलंका के बचाव में भारत ही आगे आया : भागवत

अहमदाबाद- 23 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर धर्म के लिए आगे बढ़ रहा है। दूसरे देश बड़ा होकर लोगों पर डंडे चलाते हैं। पहले रूस और बाद में अमेरिका का वर्चस्व बढा, तो अमेरिका ने दुनिया को चलाने का प्रयत्न किया। अब चीन को ऐसा लग रहा है कि वह अमेरिका से आगे निकल जाएगा। परंतु भारत धर्म के लिए आगे बढ रहा है। श्रीलंका पहले भारत से दूर रहता था, लेकिन जब संकट आया तो भारत ही उसकी मदद में आगे आया।

साबरकांठा जिले के इडर स्थित मुडेटी गांव में रविवार को भगवान यज्ञवल्क ट्रस्ट संचालि संस्कृत पाठशाला के ज्ञान गौरव समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर पाठशाला के प्रस्तावित विशाल भवन के लिए भूमिपूजन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने संस्कृत और संस्कृति की बात कर उन्होंने समग्र विश्व में भारत के बढ़ते प्रभाव की बात की। उन्होंने लोगों से भारत को विश्व गुरु बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समग्र विश्व में भारत और भारतीय संस्कृति को हाल में विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। हाल के समय में भारत ही एकमात्र देश है जो दूसरे देशों से छीनने की जगह उनके खराब समय में मदद करने वाला देश है। भारत की विदेश नीति की चर्चा कर भागवत ने कहा कि भारत पहले अपना पक्ष नहीं रख पाता था। आर्थिक संकट के दौरान भारत ने श्रीलंका की मदद की। श्रीलंका हमेशा चीन या पाकिस्तान का पक्ष लेता था और हमेशा भारत को अपने आंतरिक मामलों से दूर रखता था। लेकिन जब श्रीलंका पर संकट आया तो भारत ही उसके बचाव में आया। भारत धर्म के आधार पर आगे बढने वाला देश है जो किसी देश की स्थिति का फायदा नहीं उठाता है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव के खतरे से लोगों को आगाह किया।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी से खतरा

भागवत ने कहा कि लोगों को डर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी कहीं मानव जाति पर हावी ना हो जाएग। यदि ऐसा होता है तो हम अस्तित्वविहीन हो जाएंगे। विज्ञान मनुष्य को जैविक प्राणि मानता है। रूस और यूक्रेन के युद्ध पर भागवत ने कहा कि यह लड़ाई का जमाना नहीं है, इसलिए युद्ध बंद होना चाहिए। भागवत ने कहा भारत दूसरों की सेवा करने में विश्वास करता है और इस ज्ञान परंपरा का पालन वेदों में किया जाता रहा है। हमारा देश एक धार्मिक राष्ट्र के रूप में विकसित हो रहा है। भारत अपने धार्मिक कर्तव्यों को संचालित कर रहा है क्योंकि यह विकसित राष्ट्र होने का मार्ग प्रशस्त करता है।

ऋषि मुनियों ने लोक कल्याण के लिए तप किया—

भागवत ने कहा कि भारत के ऋषिमुनियों ने लोक कल्याण के लिए तप किया है। स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि विवेकानंद ने भी कहा था कि भारत सर्वश्रेष्ठ सिद्धि प्राप्त करेगा। भारत और भारतीय धर्म में सभी लोगों के कल्याण के लिए है। इसके कारण धर्म और संस्कृति दोनों विशेष रूप से टिक सका है। उन्होंने लोगों से कहा कि आगामी समय में अपने लिए जीने के बजाए यदि हम घर, परिवार समेत गांव के लिए जीवन जीते हैं तो अपना कर्म और धर्म दोनों श्रेष्ठ हो सकता है।

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Author: lakshyatak

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