नई दिल्ली- 04 जनवरी। भारतीय नौसेना ने अमेरिकी जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को खारिज कर दिया है। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ से संचालित करने के लिए राफेल एम का चयन किया गया है। भारतीय नौसेना 26 राफेल एम विमानों के लिए फ्रांस के साथ अरबों डॉलर की डील करने वाली है। मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा के दौरान इस डील पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
भारतीय वायुसेना के बाद भारतीय नौसेना भी फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान हासिल करने की कतार में है। भारतीय नौसेना ने अमेरिकी जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को खारिज करके फ्रांसीसी राफेल एम का सौदा करने का विकल्प चुना है। राफेल एम के सौदे को भारत और फ्रांस के संबंधों में मील का पत्थर करार दिया जा रहा है। दोनों देशों के बीच यह डील मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के भारत दौरे पर हो सकती है। इससे पहले भारतीय वायु सेना ने दो लड़ाकू स्क्वाड्रन (36 विमान) के लिए राफेल को चुना था, अब भारतीय नौसेना राफेल एम का अधिग्रहण करने के लिए तैयार है।
राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन को भरोसा है कि राफेल एम भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के लिए उपयुक्त होगा। राफेल एम का इस्तेमाल अभी भी ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं कर रही हैं। अमेरिकी फाइटर जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट और राफेल एम का पिछले साल की शुरुआत में नेवी ने ट्रायल किया था। दोनों लड़ाकू विमानों का परीक्षण गोवा के नौसैनिक अड्डे आईएनएस हंसा में किया गया था। इस परीक्षण की एक विस्तृत रिपोर्ट दिसंबर में भारत के रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। अब सरकार की मंजूरी का इन्तजार है।
भारतीय नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी जरूरतों को काफी बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है। भारतीय नौसेना 43 पुराने रूसी फाइटर जेट मिग-29के और मिग-29के यूबी को अपने बेड़े से हटाना चाहती है। नौसेना ने कई विमानन कंपनियों से टेंडर मांगे थे, लेकिन अंतिम रेस राफेल एम और एफ/ए-18 के बीच थी। फ्रांसीसी नौसेना के पास वर्तमान में 240 राफेल एम जेट हैं। डसॉल्ट ने इन जेट्स का निर्माण वर्ष 1986 से शुरू किया था। भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में दो विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य हैं।
देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए भारतीय नौसेना 26 नए डेक-आधारित लड़ाकू विमानों को खरीदने की तैयारी में है। इसके लिए सीधी प्रतिस्पर्धा में फ्रांसीसी राफेल मरीन लड़ाकू विमान ने अमेरिकी एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को पीछे छोड़ दिया है। युद्धपोत आईएनएस विक्रांत कैटापुल्ट असिस्टेड टेक-ऑफ बैरियर अरेस्टेड रिकवरी (सीटीओबीएआर) एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। यह विमानवाहक के डेक से विमान के प्रक्षेपण और पुनर्प्राप्ति के लिए उपयोग की जाने वाली प्रणाली है। इस तकनीक के तहत एक कैटापल्ट की मदद से एयरक्राफ्ट लॉन्च किया जाता है और रोधक तारों का उपयोग करके जहाज (रिकवरी चरण) पर टेक-ऑफ और लैंड किया जाता है।