नई दिल्ली- 02 सितम्बर। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर आज जमीअत उलमा-ए-हिंद के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मेवात के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और जमीअत की ओर किए जा रहे पुनर्वास कार्यों और कानूनी कार्रवाइयां की समीक्षा की गई। इसके साथ जमीअत के प्रतिनिधिमंडल ने नूंह में स्थानीय वकीलों के साथ एक औपचारिक बैठक भी की ताकि वे लोग जो बिना कारण कैद में हैं, उन्हें कानूनी सहायता प्रदान की जा सके।
इस बाबत मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि हमें 84 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि मेवात में लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जमीअत उलमा-ए-हिंद देश के संविधान के अनुसार उनको कानूनी सहायता प्रदान करेगी और न्याय दिलाने का हरसंभव प्रयास भी करेगी।
मौलाना फारूकी ने बताया कि हमने यहां के हालात की समीक्षा करने के बाद यह पाया है कि मेवात के लोग इस समय सबसे अधिक सहायता के पात्र हैं। जिस तरह से उपद्रवियों ने यहां हालात पैदा किए और उसके बाद सरकार ने गैरकानूनी तरीके से बुलडोजर का इस्तेमाल कर उनके मान-सम्मान पर हमला किया और उन्हें मानसिक यातनाएं दीं। उसी तरह पूर्व में भी उपद्रवियों द्वारा कई मॉब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। अब यहां बुलडोजर के बाद जो स्थिति है, हमारी प्राथमिकता है कि उन लोगों की न केवल मनोवैज्ञानिक रूप से मदद करे ताकि वह इन परिस्थितियों का सामना भी कर सकें, बल्कि जो जरूरतमंद और गरीब हैं, उन लोगों की पूरी मदद भी की जाए।
इस बीच जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा मदरसा अबी इब्न काब घासीरा में जरूरतमंदों के बीच 50 से अधिक रेहड़ियां वितरित की गईं ताकि वह अपने कारोबार को फिर से शुरू कर सकें। ज्ञात हो कि दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान सड़क पर रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को हुआ है। उपद्रवियों ने इन गरीबों से उनकी रोजी-रोटी का साधन भी छीन लिया था, इनका तत्काल पुनर्वास जरूरी था।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी कर रहे थे, जबकि प्रतिनिधिमंडल में कानूनी मामलों के संरक्षक मौलाना नियाज अहमद फारूकी भी शामिल रहे।
उनके अतिरिक्त प्रतिनिधिमंडल में मौलाना याहया करीमी, महासचिव जमीअत उलेमा संयुक्त पंजाब,मौलाना गय्यूर अहमद कासमी,मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी,मौलाना हमज़ा मुफ्ती सलीम साकरस,मास्टर मोहम्मद कासिम महों, मौलाना जमाल कासमी, मौलाना मोअज्जम आरिफी,मौलाना अजीमुल्लाह सिद्दीकी,हाफिज़ सलीम,हाफिज़ यामीन,मौलाना अजहरुद्दीन,मौलाना अब्दुल-मुईद भी शामिल थे।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर सबसे पहला जरूरी काम मस्जिदों के पुनर्वास का कार्य शुरू किया गया। इसके बाद फिरोजपुर झिरका के दूध घाटी में गरीब किसानों और चरवाहा वर्ग से संबंध रखने वाले जिन लोगों के घर बुलडोजर से ध्वस्त कर दिए गए थे, उनके पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
आज जमीअत के प्रतिनिधिमंडल ने दूधघाटी पहुंच कर उन जमीनों का निरीक्षण किया जहां जमीअत नगर बसाए जाने का प्रस्ताव है। जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा वहां पर कुछ घरों की नींव भी रखी गई है।
जमीअत उलमा-ए-हिंद, जो हमेशा जरूरतमंदों, प्रताड़ित लोगों और असहायों के साथ खड़ी रही है, उसकी अपने 100 साल के इतिहास में कई बलिदान हैं, वह मेवात के इस क्षेत्र से कतई बेपरवाह नहीं रह सकती। यह वह क्षेत्र है जहां जमाअत तब्लीग को बहुत ताकत मिली और यहां के मुसलमान हर तरह से धार्मिक और राष्ट्रीय आंदोलनों के साथ खड़े रहते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बिना किसी भेदभाव के मेवात के लोगों की चाहे वह मुसलमान हों या गैर-मुस्लिम,राष्ट्रीयात के आधार पर उन सभी की मदद की जाए।