मधुबनी- 15 नवंबर। हरियाणा के पूर्व राज्यपाल धनिक लाल मंडल विशुद्ध समाजवादी विचारधारा को मानने वालों में से थे। वे कर्मकांड और छुआछूत को नही मानते थे। मृत्यु भोज के घोर विरोधी स्वः मंडल जीवन पर्यन्त सामाजिक भेदभाव,ऊँचनीच और छुआछूत के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। वे जाती तोड़ो समाज जोड़ो आंदोलन के प्रणेता थे। अपने जीवन काल मे अनेको अंतर जातीय दहेजमुक्त विवाह करवाकर वे समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का संदेश दिया। असाधारण व्यक्तित्व के धनी दिवंगत मंडल हमेशा सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास करते थे। अपने जीवन मे इतने उचाईयों पर पंहुचने के बाद भी हमेशा अपने गांव की मिट्टी से जुड़े रहे। उन्हें अपने समाज की चिंता हमेशा रही। स्वः मंडल हमेशा कहा करते थे कि दुनिया का हर नियम परंपरा मानव जीवन की बेहतरी के लिए बनाई गई है। तथा जो इसमें बाधक बने उस नियम और परंपरा को तोड़ फेकिऐ। उनका मानना था कि मनुष्य के मृत्यु के बाद दाहसंस्कार के पश्चात और कोई संस्कार शेष नहीं रह जाता है। दाह संस्कार के साथ ही मनुष्य का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है और उसका जीवन का एक चक्र पूरा हो जाता है। इस लिए मृत्यु के पश्चात कर्मकांड की कोई आवश्यकता नहीं।
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