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हजरत निजामुद्दीन औलिया के 719वें उर्स का आगाज, 16 दिसंबर तक चलेगा उर्स, फातेहा के के अलावा महफिल-ए-समा और कव्वाली का होगा आयोजन

नई दिल्ली- 12 नवंबर। विश्व प्रसिद्ध सूफी-संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के 719वें उर्स समारोह का आज नमाजे मगरिब के बाद आगाज हुआ। दरगाह में विशेष दुआ के साथ सालाना इस उर्स समारोह की आज विधिवत शुरुआत हुई। इस मौके पर पाकिस्तान से आए प्रतिनिधिमंडल समेत बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से आए ख्वाजा के अकीदतमंदों ने अपनी हाजिरी दर्ज कराई।

ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया का उर्स समारोह 16 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान रोज दुआख्वानी, फातेहा, महफिल-ए-समा और कव्वाली जैसे विभिन्न अयोजन किए जाएंगे। उर्स का बड़ा कुल 13 नवंबर को 11 बजे आयोजित किया जाएगा। इसमें बड़ी संख्या में देश-दुनिया के जायरीन के भाग लेने की संभावना है।

दरगाह के चीफ इंचार्ज काशिफ निजामी ने बताया कि हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया का 719वां उर्स समारोह विधिवत तौर से आज शुरू हो गया है। आज से 16 दिसंबर तक दिन-रात चलने वाले उर्स समारोह में बड़ी तादाद में जायरीन के भाग लेने की संभावना है। उनका कहना है कि उर्स में भाग लेने आए पाकिस्तान के 147 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने भी हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की दरगाह की जियारत की है। इस मौके पर पाकिस्तानी जायरीन ने दरगाह पर चादर और फूलों का नजराना पेश किया है।

बस्ती निजामुद्दीन स्थित हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में आयोजित उर्स कार्यक्रम में दो दिन कल और परसों 11 बजे दिन में कुल की रस्में अदा की जाएंगी। इसके बाद शाम में कव्वालियों और महफिल-ए-समा का प्रोग्राम भी आयोजित किया जाएगा। दरगाह के बाहर स्थित उर्स महल में वीआईपी अतिथियों के लिए विशेष कार्यक्रम कव्वाली और महफिल-ए-समा का अयोजन किया जाएगा।

महबूब-ए-इलाही के नाम से मशहूर हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स में इस बार बड़ी तादाद में जायरीन के हिस्सा लेने की संभावना है क्योंकि पिछले 2 सालों से दरगाह में कोविड-19 के प्रतिबंधों की वजह से बाहर के जायरीन उर्स में भाग नहीं ले पा रहे थे। इस बार किसी भी तरह की कोई बंदिश नहीं होने की वजह से बाहर से आने वाले जायरीन बड़ी तादाद में इसमें शिरकत करेंगे।

उर्स के दौरान दरगाह की तरफ से यहां आने वाले जायरीन के लिए लंगर का ऐहतेमाम किया गया है। सुबह और शाम में यहां मौजूद लोगों को लंगर परोसा जाएगा। हजरत निजामुद्दीन दरगाह में बड़ी तादाद में गैर मुस्लिम जायरीन का पूरे साल आना-जाना लगा रहता है। उर्स के समय तो यह तादाद काफी बढ़ जाती है। उनके लिए दरगाह प्रबंधन की तरफ से विशेष प्रबंध किए जाते हैं। नॉन वेज नहीं खाने वाले अकीदतमंदों के लिए शुद्ध शाकाहारी लंगर की व्यवस्था की जाती है।

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