अंकारा- 14 मई। तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप, आर्थिक संकट और लोकतांत्रिक व्यवस्था के विघटन के बीच रविवार को संसदीय एवं राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ। तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान के लिए पिछले दो दशक के कार्यकाल में सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
चुनाव परिणाम तय करेंगे कि एर्दोगान अगले पांच साल के लिए पद पर बने रहेंगे या नहीं। ऐसा पिछले 20 वर्षों में पहली बार होगा जब एर्दोगान जनमत सर्वेक्षणों में प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ रहे हैं।
जनमत सर्वेक्षणों में मध्यमार्गी-वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष समर्थक रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के नेता और संयुक्त विपक्षी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार 74 वर्षीय कमाल किलिकडारोग्लू को बढ़त मिल सकती है। अगर किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिलते हैं तो पहले दौर के शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच 28 मई को निर्णायक मुकाबला होगा। इस चुनाव में विदेशों में बसे 34 लाख लोगों समेत 6.4 करोड़ से अधिक मतदाता मतदान के योग्य हैं।
किलिकडारोग्लू के छह दलीय राष्ट्रीय गठबंधन ने कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने और देश को एक संसदीय लोकतंत्र में वापस लाने का संकल्प लिया है। उन्होंने न्यायपालिका और केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता स्थापित करने, संतुलन कायम करने और एर्दाेआन के शासन के तहत मुक्त भाषण और असहमति की आवाज पर लगे प्रतिबंधों को उलटने का भी वादा किया है।
