नई दिल्ली- 31 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर गुजरात हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने हत्या के एक मामले में गुजरात हाई कोर्ट से एक आरोपित को पीड़ित पक्ष से समझौता करने के आधार पर जमानत देने के मामले पर प्रतिकूल टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हत्या के मामले में राजीनामा कैसे हो सकता है। अगर राजीनामा हो भी गया, तो हाई कोर्ट इसे अपनी मंजूरी देकर आरोपित को जमानत पर कैसे रिहा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी हैरान था कि गुजरात सरकार ने इस मामले में चुनौती क्यों नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के आदेश को किसी भी नजरिये से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश को गुजरात के गृह सचिव के पास भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर गुजरात सरकार मामले को लेकर उनके पास क्यों नहीं पहुंची। गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी।
मामला 17 सितंबर, 2021 का है। आरोपित ने प्रवीण भाई और याचिकाकर्ता पर हमला किया। हमले में प्रवीण भाई की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किया। आरोपित 23 सितंबर, 2021 से 18 फरवरी, 2022 तक न्यायिक हिरासत में रहा। न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान आरोपित ने प्रवीण भाई के बेटे से राजीनामा करा लिया। राजीनामे के आधार पर हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। आरोपित जब जमानत पर बाहर आया, तो वो दूसरे मामले में दोबारा गिरफ्तार हो गया। जिस पर कोर्ट ने कहा कि आरोपित आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है, इसे जमानत कैसे मिली।
