अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने को तैयार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

नई दिल्ली- 31 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने आज अनुच्छेद 370 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर तेरहवें दिन की सुनवाई पूरी कर ली है। आज केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने को तैयार है। वोटर लिस्ट लगभग तैयार हो चुकी है।

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि वो इस मामले में फैसला लेने की संवैधानिक प्रकिया पर ही विचार करेगा। कोर्ट के कहने का मतलब है कि कोर्ट सिर्फ ये देखेगा कि फैसला लेने की प्रकिया सही थी या नहीं। कोर्ट अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदले हालात, राज्य में चुनाव और पूर्ण राज्य का दर्जा देने जैसे तथ्यों पर विचार नहीं करेगा।

आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंचायत चुनाव, नगर निगम के चुनाव के बाद, विधानसभा चुनाव होंगे। केंद्र सरकार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने लिए कदम उठाए गए हैं परन्तु ये कब तक होगा, इसका निश्चित वक़्त नहीं बता सकते हैं। दरअसल, 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा क्या है और उसका रोडमैप क्या है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि राज्य में चुनाव कब करा रहे हैं।

मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी घटनाओं में 45.2 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद घुसपैठ में 90.02 फीसदी की कमी आई है। वहीं पत्थरबाजी की घटनाओं में अनुच्छेद 370 हटने के बाद 97.2% की कमी आई है। जबकि अनुच्छेद 370 के बाद सुरक्षाबलों के हताहत होने की घटनाओं में भी 65.9% की कमी आई है। 2018 में पत्थरबाजी की 1767 घटनाएं हुई थीं, जो इस साल शून्य है।

23 अगस्त को याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें पूरी कर ली गईं। पांच सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। 02 मार्च, 2020 के बाद इस मामले को पहली बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने राज्य के सभी विधानसभा सीटों के लिए एक परिसीमन आयोग बनाया है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए भी भूमि खरीदने की अनुमति देने के लिए जम्मू एंड कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में संशोधन किया गया है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर महिला आयोग, जम्मू-कश्मीर अकाउंटेबिलिटी कमीशन, राज्य उपभोक्ता आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को बंद कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 02 मार्च, 2020 को अपने आदेश में कहा था कि इस मामले पर सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने मामले को सात जजों की बेंच के समक्ष भेजने की मांग को खारिज कर दिया था।

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Author: lakshyatak

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