नई दिल्ली- 07 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों के जरिये व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने पर अलग से दिशा-निर्देश बनाने की वकालत की है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ये एक गंभीर मामला है और मीडिया पेशवरों की सुरक्षा के लिए बेहतर दिशा-निर्देश होने चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार मीडिया पेशेवरों के उपकरणों की जब्ती पर गाइडलाइन तैयार करे, क्योंकि उनके पास अपने सूत्र होते हैं। कोर्ट ने केंद्र को दिशानिर्देश के लिए समय देते हुए कहा कि हितों में संतुलन होना चाहिए। हमने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है। सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने अलग नियम बनाने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें राष्ट्रविरोधी भी हैं जो सक्रिय हो सकते हैं। तब कोर्ट ने कहा आपके पास इसके लिए बेहतर दिशानिर्देश होने चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि हम यह करें तो हम यह करेंगे,लेकिन हमारा विचार है कि आपको यह स्वयं करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान पत्रकारों की ओर से कहा गया कि आजकल एजेंसी पासवर्ड या बायोमेट्रिक्स देने के लिए बाध्य करती हैं। वह उपकरण कब जब्त करेंगे,क्या जब्त करेंगे, इसकी जानकारी नहीं होती। उनका व्यक्तिगत डेटा,वित्तीय डेटा और अन्य डिटेल्स उस डिवाइस में होते हैं जबकि उसके संबंध में कोई दिशानिर्देश नहीं हैं। तब राजू ने कहा कि मीडिया कानून से ऊपर नहीं हो सकता।
कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2022 को याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स ने दायर की है। इसके पहले पांच एकेडमिशियंस ने याचिका दायर की है। उन याचिकाकर्ताओं में जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर राम रामास्वामी,सावित्रीबाई फुले पुणे युनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुजाता पटेल,इंग्लिश एंड फॉरेन लैग्वेजेज युनिवर्सिटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम माधव प्रसाद, दिल्ली के लेखक मुकुल केशवन और इकोलॉजिकल अर्थशास्त्री दीपक मालघन शामिल हैं।
याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकार के अधीन काम करनेवाली जांच एजेंसियों को जांच के दौरान व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती को लेकर दिशानिर्देश जारी करने चाहिए क्योंकि उन उपकरणों में लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां होती हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील एस प्रसन्ना ने कहा कि व्यक्तिगत उपकरणों को जब्त करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। व्यक्तिगत उपकरणों की जब्ती लोगों के व्यक्तिगत संदेशों के जुड़े होते हैं इसलिए जब्त किए गए उपकरणों की प्रति आरोपियों को भी मिलनी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को जब्त करने से पहले न्यायिक अधिकारी की पूर्व अनुमति जरूरी होनी चाहिए। अगर जब्त करना तुरंत जरूरी है तो ये बताना होगा कि न्यायिक अधिकारी की पूर्व अनुमति क्यों नहीं ली गई। इसके अलावा जब्त उपकरण का केस से संबंध को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। जब्त उपकरण के मालिक को इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है कि वो उसका पासवर्ड बताए। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने के बाद उसके हार्ड डिस्क की पड़ताल उसके मालिक या निष्पक्ष कंप्यूटर प्रोफेशनल के समक्ष की जानी चाहिए।