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मोटे अनाज को बढ़ावा देने में मददगार बनेंगे FPO, किसानों को एफपीओ से जोड़ने की होगी कवायद

मीरजापुर- 12 फरवरी। मोटे अनाज के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसान उत्पादक संगठन यानि एफपीओ की मदद ली जाएगी। इसमें कृषि विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वर्ष 2023 को विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसका प्रस्ताव भारत ने दिया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। इसके तहत अब जनमानस में स्वास्थ्य व पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाकर मोटे अनाज का क्षेत्रफल व उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी ही, जनमानस का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

उप कृषि निदेशक डा. अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि जनपद में इस समय 60 किसान उत्पादक संगठन काम कर रहे हैं। इन सबकी मदद से मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश होगी। मोटे अनाज में पोषक तत्व अधिक होते हैं। इन फसलों को पर्यावरण व मिट्टी के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इस साल इसे बढ़ावा देने को लेकर बड़े पैमाने पर प्रयास हो रहे हैं।

इन जगहों पर होता है ज्वार व बाजरा का उत्पादन

जनपद के विकास खंड छानबे, कोन, मझवां, पहाड़ी, सीटी, सीखड़, नरायनपुर व जमालपुर में मोटे अनाज ज्वार व बाजरा का उत्पादन होता है। इन फसलों का क्षेत्रफल व उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही कोदो, मड़ुवा, झिंगोरा व चेना की बुवाई के लिए भी किसानों को जागरूक किया जाएगा। मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी, सांवा, कोदो, कुटकी, चेना व कांगनी आते हैं।

एफपीओ में किसान संगठित होकर करते हैं काम, मिलेगी सफलता

किसान उत्पादक संगठनों के साथ इस बात की चर्चा होगी कि जिले में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किस तरह के प्रयास हो सकते हैं। एफपीओ में किसान संगठित होकर काम करते हैं, इसलिए इनके माध्यम से इसके उत्पादन में काफी सफलता मिल सकती है।

पहले लोग भोजन में प्रयोग करते थे मोटा अनाज, रहते थे स्वस्थ

पोषण के मामले में मोटे अनाज अन्य अनाजों गेहूं व धान की तुलना में बहुत आगे हैं। इनकी खेती सस्ती और कम पानी वाली होती है। मोटे अनाज का भंडारण आसान होता है। मोटे अनाज पहले लोग भोजन में प्रयोग करते थे और स्वस्थ रहते थे। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह अच्छा होता है। इन फसलों में उर्वरक का प्रयोग कम, सिंचाई कम व रोग कीट का प्रकोप कम होता है।

मोटे अनाज की पोषण मूल्य

राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकछा बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक प्रो. श्रीराम सिंह बताते हैं कि मोटे अनाज के पोषण मूल्य में कैल्सियम, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम बहुत ही अधिक होती है, जो स्वास्थ्य के प्रति उपयोगी है। यह खाद्यान ग्लूटेन फ्री है। साथ ही ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो शुगर नियंत्रण में सहायक होता है।

मोटे अनाज का दायरा बढ़ाने का क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)

वर्ष : ज्वार : बाजरा : सांवा : कोदो : चेना : कुटकी : कांगनी

2023-24 : 2668 : 7955 : 14 : 09 : 09 : 09 : 05

2024-25 : 2798 : 8305 : 15 : 10 : 10 : 10 : 06

2025-26 : 2905 : 8710 : 16 : 11 : 11 : 11 : 07

2026-27 : 3010 : 9025 : 17 : 12 : 12 : 12 : 08

2027-28 : 3120 : 10050 : 18 : 13 : 13 : 13 : 09

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Author: lakshyatak

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