मुजफ्फरपुर- 29 जुलाई। शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में शराब और अन्य नशीले पदार्थ पहुंचवाने और उसकी अवैध वसूली कराने के आरोप जेल के दो अधिकारियों काराधीक्षक ब्रिजेश कुमार और तत्कालीन उपाधीक्षक सुनील कुमार मौर्य पर लगे हैं। जेल में सामग्रियों का आपूर्तिकर्ता रहे संवेदक रमेश सिंह की शिकायत के आधार पर गृह विभाग के संयुक्त सचिव रजनीशकुमार सिंह ने काराधीक्षक ब्रिजेश कुमार और तत्कालीन उपाधीक्षक सुनील कुमार मौर्य के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।
जेल में सामग्रियों का आपूर्तिकर्ता (ठेकेदार) रहे एक संवेदक रमेश सिंह ने यह आरोप लगाया है कि काराधीक्षक ब्रिजेश कुमार और पूर्व उपाधीक्षक सुनील कुमार मौर्य जेल में शराब पहुंचवाकर बंदियों से वसूली कराते रहे हैं। इस काम के लिए अपराधियों का सहारा लिया जाता है। पॉक्सो एक्ट के एक बंदी को अपना खास शागिर्द बनाकर यह खेल खेला जा रहा है। वह बंदी पैसा न देने वाले बंदियों को अन्य जेल में ट्रांसफर कराने का भय दिखा वसूली करता है।
ठेकेदार ने आवेदन पत्र में यह भी आरोप लगाया कि एक संवेदक की ओर से भेजी गई दूध की गाड़ी में जेल टीम की जांच के दौरान भारी मात्रा में गांजा बरामद किया गया। इस मामले में अरोपित संवेदक के प्रतिनिधि को छोड़ने के लिए दो लाख में सौदा किया गया। ठेकेदार रमेश सिंह ने प्रधान सचिव से शिकायत की थी। मानक के विपरीत दोनों अधिकारी सामान आपूर्ति का दबाव बनाते हैं। वही पूरे मामले में पूछे जाने पर कारा विभाग के संयुक्त सचिव रजनीश कुमार सिंह ने पुष्टि करते हुए कहा कि आरोप पत्र कई आते है सबकी जाँच पड़ताल कराई जाती है मुज़फ़्फ़रपुर जेल अधीक्षक और तत्कालीन जेलर पर भी इस तरह का आरोप लगाते हुए एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसकी जाँच पड़ताल कराई जा रही है जांचोपरांत ही पूरा मामला सामने आएगा उसके उपरांत जाँच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्यवाई होगी ।
मुज़फ़्फ़रपुर के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा के अधीक्षक ने कहा कि इस तरह का आवेदन हमेशा विभाग को भेजा जाता है कुछ क्रिमिनल है जो अपना साम्राज्य जेल में चलाना चाहते हैं उनके ही द्वारा इस तरह की हडकत की जाती है । कई बार इस तरह के आवेदन भेजे गए हैं पर नाम पता आवेदक का सत्यापन तक नही हो पाता है और न ही पता चल पाता है कि आवेदक के नाम का आदमी उस पते पर रहता है । वैसे जो आवेदन किया गया है उसके आलोक में विभाग के सक्षम अधिकारी अपने स्तर से जाँच पड़ताल कर लेते है।