किशनगंज- 21 जनवरी। किडनी हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंग में से एक है। यह मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे वेस्ट पदार्थों से ब्लड को फिल्टर करने का काम करती है, जो पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि आजकल गलत खानपान व जीवनशैली में बदलाव के कारण किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं। महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिजीज पुरुषों के समान ही गंभीर खतरा है, बल्कि महिलाओं में सीकेडी विकसित होने की आशंका पुरुषों से 5 प्रतिशत अधिक होती है। सीकेडी को बांझपन और सामान्य गर्भावस्था व प्रसव के लिए भी रिस्क फैक्टर माना जाता है। इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम होती है और मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं में सीकेडी एडवांस स्तर पर पहुंच जाता है, उनमें हाइपस टेंसिव डिसऑर्डर और समयपूर्व प्रसव होने की आशंका काफी अधिक हो जाती है। कई लोगों को यह जानकर हैरानी हो सकती है कि मुट्ठी के आकार का यह अंग हमारे स्वास्थ्य और जीवन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किडनी के रोग से बचने के लिए पानी का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अक्सर लोगों को कम पानी पीते देखा जाता है। जिसके कारण डिहाइड्रेशन व गैस के साथ पेट एवं किडनी की समस्याएं बढ़ जातीं हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि आजकल की भाग दौड़ वाले व्यस्त जीवन शैली में लोगों को तनाव से बचना चाहिए। शराब व धूम्रपान से परहेज करने के साथ ही भोजन में ज्यादा नमक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए, सुबह में टहलना चाहिए तथा हल्के व्यायाम करना चाहिए। डायबिटीज व हाई बीपी से ग्रसित लोगों को किडनी की सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
भारत में बच्चों में किडनी फेलियर के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। 20 प्रतिशत भारतीय बच्चे किडनी रोगों से पीड़ित हैं। बच्चों को स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका है। खानपान ठीक रखें, पानी भरपूर पिएं, धूम्रपान न करें, दवाइयों तथा सोडियम का सेवन कम करें।
एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया कि किडनी रोग के विभिन्न लक्षण हैं, जिसकी जानकारी होनी जरूरी है। चेहरे और पैरों में सूजन, खाने की इच्छा न होना, उल्टी व उबकाई आना, बहुत अधिक थका महसूस होना, रात में पेशाब का अधिक होना, पेशाब होने में तकलीफ आदि होने पर चिकित्सकीय परामर्श जरूर लें। पेशाब में प्रोटीन बढ़ना किडनी रोग की समस्या की ओर इशारा करता है। चूंकि किडनी रोग को साइलेंट किलर माना जाता है और यह पीठ की ओर पसलियों के नीचे होता है। इसलिए पीठ के पीछे वाले हिस्से में नीचे की तरफ दर्द होने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी हो जाता है। इन हिस्सों में दर्द किडनी रोग की समस्या की ओर संकेत देता है। पेशाब में खून आना, बुखार रहना, पेशाब में जलन के लक्षण को भी नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
स्वस्थ किडनी के लिए इन बातों का रखें ध्यान :
नियमित रूप से व्यायाम करें। रक्तचाप व शुगर को नियंत्रित रखें। खाने में संतुलित आहार लें। बढ़ते वजन को कंट्रोल करें। धूम्रपान, शराब व तंबाकू सेवन से बचें। किडनी का वार्षिक चेकअप जरूर करायें।
