कोलंबो- 30 मार्च। भारत और श्रीलंका द्विपक्षीय साझेदारी का विस्तार कर ऊर्जा क्षेत्र में साथ-साथ काम करेंगे। श्रीलंका के समुद्री तट के नजदीक स्थित पूर्वी जिले त्रिंकोमाली में दोनों देश मिलकर 135 मेगावॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र बनाएंगे। श्रीलंका की कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है।
श्रीलंका ने 2030 तक अपनी बिजली की समग्र आवश्यकता का 70 प्रतिशत सौर ऊर्जा से उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस क्षेत्र में भारत ने श्रीलंका को सहयोग का फैसला किया है। इस संबंध में श्रीलंका मंत्रिमंडल की ओर से औपचारिक रूप से जानकारी दी गयी कि भारतीय राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम और सीलोन बिजली बोर्ड ने संयुक्त रूप से दो चरणों में एक सौर ऊर्जा परियोजना को लागू करने के लिए एक समझौता किया है। यह संयुक्त परियोजना त्रिंकोमाली में 135 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र के रूप में मूर्त रूप लेगी। श्रीलंका सरकार ने इस संयुक्त उपक्रम को हरी झंडी दे दी है।
मंत्रिमंडल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस परियोजना के पहले चरण में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का सृजन होगा। इस पर 4.25 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च आएगा। दो साल में पूरा होने वाले पहले चरण में ही संपुर से कप्पलथुरे तक 40 किलोमीटर लंबी आपूर्ति लाइन का निर्माण भी किया जाएगा। 220 किलोवॉट क्षमता वाली इस ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में 2.36 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा। दूसरे चरण में 7.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च कर 85 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित किया जाएगा। भारत सरकार ने तटीय पवन और बायोमास सहित सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग करने वाली बिजली उत्पादन परियोजनाओं के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की बात कही है।
