कानपुर- 25 फरवरी। मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है।मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है,जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। यह बात रविवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पादप रोग विज्ञान विभाग के छह दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ.एस.के.विश्वास ने कही।
उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है। मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है।जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग रोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है।
डॉ.बिस्वास ने कहा कि मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है। उन्होंने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती कर उद्यम अपना कर आत्मनिर्भर बने। डॉ एसके विश्वास ने छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पर हुए विभिन्न व्याख्यानो एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया कि प्रमाण पत्र वितरण के बाद सभी प्रतिभागियों द्वारा परिसर में पौधरोपण भी किए गए। इस प्रशिक्षण के समापन अवसर पर डॉ. एस के बिस्वास ने सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्योग है।
![lakshyatak](https://lakshyatak.in/wp-content/uploads/2022/05/lakshya-tak-with-tagline-logo-1024x1024-1_uwp_avatar_thumb.png)