नई दिल्ली- 03 नवंबर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि भारत का एक अग्रणी वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए एक स्थिर कारक है।
नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में चाणक्य रक्षा संवाद-2023 को संबोधित करते हुए धनखड़ ने वैश्विक सुरक्षा और शांति के लिए समकालीन चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए इस विचार मंच की अवधारणा के लिए सेना को बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सीडीडी दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा जटिलताओं के गहन विश्लेषण के लिए एक उपयुक्त मंच बन जाएगा, जो अंततः क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा।
भारत को कुछ बेहतरीन रणनीतिक और आध्यात्मिक विचारकों की ‘कर्मभूमि’ के रूप में संदर्भित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार का अनूठा उपहार प्राप्त है। आचार्य चाणक्य के ज्ञान के अनुरूप जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए हथियारों और शास्त्रों के माध्यम से अपनी संस्कृति का पोषण करने के महत्व पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने आधुनिक संदर्भ में इन शब्दों को प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की ताकत सबसे प्रभावशाली रक्षा और निवारक है। राष्ट्र की बौद्धिक और आर्थिक शक्ति का लाभ उठाना सुरक्षा वातावरण को मजबूत करने के पहलू बन गए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत को संजोते और उसका पालन करते हुए ऐसी महान आकांक्षाओं को शक्ति प्रदान करने में जुटा है।
यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संकटों के बारे में उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि वैश्वीकरण और आर्थिक परस्पर निर्भरता के बावजूद संघर्ष जारी हैं। धनखड़ ने अधिक प्रभावी संघर्ष समाधान के लिए प्रतिरोध को मजबूत करने और कूटनीति को पुनर्जीवित करने के लिए नवीन दृष्टिकोण तलाशने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा आज असंख्य विशेषताओं और क्षमताओं का एक समूह है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत शक्ति गतिशील बनाने के लिए विभिन्न हिस्सों को एक साथ आना चाहिए और ऐसे संकल्प खोजने की आवश्यकता है जो वर्तमान परिवेश में फिट हो सकें।