नई दिल्ली- 30 मार्च। भारतीय नौसेना के लिए गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने 23 हजार करोड़ रुपये के सौदों पर हस्ताक्षर किये हैं। इनमें से 1,700 करोड़ रुपये से नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लॉन्ग रेंज) और ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी जाएंगी। इसके अलावा 9,781 करोड़ रुपये से 11 गश्ती युद्धपोत, 9,805 करोड़ रुपये से अगली पीढ़ी के 6 मिसाइल वाहक जहाज और 1,700 करोड़ रुपये से लिंक्स-यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम खरीदने के अनुबंध किये गए हैं।
भारतीय नौसेना अभी तक तटीय एंटी शिप सिस्टम के रूप में सोवियत काल की पी-15एम Styx मिसाइलों का उपयोग करती है, जिसे अब ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लॉन्ग रेंज वेरिएंट से बदला जाएगा। इसलिए नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लॉन्ग रेंज) और ब्रह्मोस मिसाइल के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। कोस्टल बैटरी की डिलीवरी 2027 से शुरू होगी। ये सिस्टम सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे, जिससे भारतीय नौसेना की सभी दिशाओं में समुद्री हमले करने की क्षमता बढ़ेगी। इस अनुबंध के जरिये देश के उद्योगों की सक्रिय भागीदारी होने से हथियार प्रणाली और गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा। स्वदेशी निर्माताओं से हासिल होने वाले अधिकांश उपकरण और उप-प्रणाली के साथ ये सिस्टम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के एक गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।
नौसेना के लिए 11 गश्ती युद्धपोत खरीदे जाएंगे
रक्षा मंत्रालय ने अगली पीढ़ी के 11 समुद्रगामी गश्ती युद्धपोत और 6 मिसाइल वाहक जहाज खरीदने के लिए 9,781 करोड़ रुपये के अनुबंध पर भारतीय शिपयार्ड के साथ हस्ताक्षर किए हैं। गश्ती युद्धपोत कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से खरीदे जाएंगे। इन 11 जहाजों में से सात गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में और चार गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में स्वदेशी रूप से विकसित तथा तैयार किये जाएंगे। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना को इस्तेमाल के लिए सितंबर, 2026 से मिलना शुरू हो जाएंगे। इन नौसैन्य जहाजों के अधिग्रहण से भारतीय नौसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता को विस्तार देने और विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 9,805 करोड़ रुपये की लागत से अगली पीढ़ी के 6 मिसाइल वाहक जहाजों के अधिग्रहण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन युद्धपोतों को मार्च, 2027 से भारतीय नौसेना को सौंपना शुरू कर दिया जाएगा। ये अगली पीढ़ी के मिसाइल वाहक जहाज रडार से बचने में सक्षम, तेज गति वाले और काफी आक्रामक क्षमता के साथ भारी हथियारों से लैस पोत होंगे। ये जहाज समुद्री हमले वाली कार्रवाइयों को पूरा करने में सक्षम तथा समुद्र के साथ-साथ बड़े सतही हमलों को अंजाम देने में सहायक होंगे। ये युद्धपोत दुश्मन के जहाजों से निपटने के लिए विशेष रूप से चोक पॉइंट्स पर समुद्र में रोक लगाने के एक शक्तिशाली हथियार के रूप में तैनात होंगे। स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों के साथ ये युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के गौरवशाली ध्वजवाहक बनेंगे।
लिंक्स-यू2 सिस्टम खरीदने के लिए अनुबंध
रक्षा मंत्रालय ने आज बेंगलुरु में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ भारतीय नौसेना के लिए 1,700 करोड़ रुपये से 13 लिंक्स-यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम खरीदने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। लिंक्स-यू2 सिस्टम नौसैन्य गोलाबारी नियंत्रण प्रणाली अवांछित समुद्री गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के साथ-साथ हवा तथा सतह के लक्ष्यों की सटीकता से जानकारी हासिल करके उनको भेदने में सक्षम है। लिंक्स-यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम चौथी पीढ़ी की और पूर्ण रूप से स्वदेशी प्रणाली है। इसे स्वदेशी रूप से निर्मित होने वाले नई पीढ़ी के गश्ती जहाजों पर तैनात किया जाएगा।
