चुनाव आयोग के पहल से मधुबनी निगम के छुटे क्षेत्रों को जोड़ने की संभावना बढ़ीः सुभेष चंद्र झा

मधुबनी- 30 मार्च। मधुबनी नगर निगम के जरूरी क्षेत्र जो किसी कारण बस छूटे गए हैं, उसे जोड़ने की संभावना बढ़ गयी है। उक्त बातें मुख्य निर्वाचन आयुक्त बिहार पटना से वार्ता कर लौटे फ्रीडम फाइटर्स फाउंडेशन के अध्यक्ष सुवेश चंद्र झा,सीनियर सिटीजन एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्योति रमण झा एवं प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव अरविंद प्रसाद ने प्रेस वार्ता में कही। इन लोगों ने कहा कि हम तीनों नगर निगम के वार्डों के गठन में की गई विसंगति उन क्षेत्रों को छोड़े जाने को लेकर आपत्ति आवेदन जिला प्रशासन एवं चुनाव आयोग मों दिया था। इसी को लेकर मुख्य चुनाव आयोग के द्वारा 27 मार्च को पटना में वार्ता के लिए बुलाया गया था। उनसे हुई वार्ता से संभावनाएं अब बढ़ गयी है। मधुबनी नगर निगम क्षेत्र के वार्डो की सीमा निर्धारण में जनसंख्या और मतदाताओं के परस्पर भारी असंतुलन और आवश्यक एवं अति महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नगर निगम क्षेत्र में नहीं शामिल किए जाने के को लेकर परिवाद था। चुनाव आयोग द्वारा हम तीनों से वार्ता के बाद दायर परिवाद में निहित बिंदु हरिनगर,अमादा एवं श्रीहरिपुर हाटी दक्षिणी को मधुबनी नगर निगम में जोड़ने की संभावना बहुत ज्यादस बढ़ गयी है। इसके लिए मधुबनी प्रशासन को तत्परता से कार्यवाही करने की आवश्यकता कही गई है। बताते चलें कि ग्राम पंचायतों के वैसे क्षेत्र जहां चुनाव हो चुके हैं और नगर निगम क्षेत्र में जोड़ लिए गए हैं, अगर उन वार्डो के कोई मतदाता मुखिया चुने जा चुके हैं, तो वह पूरे कार्यकाल पांच वर्षों तक मुखिया बने रह सकते हैं। ऐसी जानकारी पंचायती राज मंत्री मुरारी गौतम एवं पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह ने विधि विभाग से परामर्श उपरांत जिला पदाधिकारियों को प्रेषित की है। ऐसे हालात में अभी छूटे हुए क्षेत्रों के नगर निगम में प्रवेश की संभावना नही है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अपर समाहर्ता मधुबनी ने आवेदक सुभेष चंद्र झा,अरविंद प्रसाद एवं ज्योति रमण झा को 31 मार्च को 4ः00 बजे अपने कक्ष में बुलाया है। ऐसे हालत में अपेक्षित फल की उम्मीद की जा सकती है। प्रेस वार्ता में नेशनल सीनियर सिटीजन के मुख्य प्रवक्ता डा. आशुतोष सिन्हा,उपाध्यक्ष अधिवक्ता ऋषिदेव सिंह,महासचिव सत्येंद्र पासवान,कार्यकारिणी सदस्य उदय जयसवाल,डा. घोष भी उपस्थित थे।

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Author: lakshyatak

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