नई दिल्ली- 07 अक्टूबर। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) केन्द्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। मोदी सरकार मनरेगा के बजट को धीरे-धीरे कम कर इसे खत्म करना चाहती है।
पार्टी महासचिव एवं मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने शनिवार को एक्स पर लिखा कि जहांं एक तरफ अप्रैल से सितंबर 2023 के दौरान भारत में कुल बिकने वाली गाड़ियों में 48 फीसदी गाड़ियां एसयूवी थीं, वहीं दूसरी तरफ इस वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में ही 2023-24 के लिए पूरे साल भर के मनरेगा बजट के 60,000 करोड़ रुपये खत्म हो चुके हैं। यह न सिर्फ देश भर में बढ़ रहे ग्रामीण संकट और असमानता को स्पष्ट रूप से इंगित करता है बल्कि मोदी सरकार की प्राथमिकताओं को भी दिखाता है, जो अनुचित ढंग से मजदूरी के भुगतान में देरी करके मनरेगा के तहत काम की मांग को दबा रही है।
रमेश ने कहा कि काम की मांग को और कम करने के लिए मोदी सरकार ने पारदर्शिता के नाम पर डिजिटलाइजेशन के लिए मजबूर किया है। डिजिटलाइजेशन का इस्तेमाल मनरेगा के तहत काम मांगने वाले लोगों को परेशान करने के लिए एक औजार के रूप में किया जा रहा है। ये वो लोग हैं, जिन्हें मनरेगा की सबसे अधिक ज़रूरत है।