मधुबनी- 27 अगस्त। जिले में पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समिति) का चुनाव नवंबर में होगा। समय से चुनाव कराये जाने को लेकर विभिन्न स्तरों पर तैयारी पूरी की जा रही है। लेकिन जिले में दो दर्जन से अधिक पैक्सों में वर्त्तमान समिति के चुनाव लड़ने पर तलवार लटकी हुई है। क्योंकि इन पैक्सों के द्वारा अधिप्राप्ति वर्ष 2022-23 में तीन करोड़ से अधिक रुपए के चावल को बतौर सीएमआर एसएफसी में जमा नहीं कराया है। इन पैक्सों ने को औपरेटिव बैंक के अधिकारी व कर्मी से मिलीभगत कर करोड़ों रुपए सीसी के रूप में धान अधिप्राप्ति के लिए ले लिया। लेकिन इन्होंने अधिप्राप्ति नहीं की या बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया। जिन किसानों के नाम से कोई भूमि नहीं है या जिन्होंने खेती ही नहीं किया उनके नाम पर भी धान अधिप्राप्ति दिखाकर राशि गटकने का खेल किया गया। रहिका प्रखंड के इजरा पैक्स में अधिकारियों के सत्यापन के दौरान धान नहीं पाया गया। इसतरह की अनियमितता कई पैक्सों में हुई। जिसको लेकर विभागीय स्तर पर रिकवरी के लिए प्रावधान के तहत कार्रवाई की जा रही है। वहीं आर्थिक अपराध इकाई ने भी इन सभी पैक्सों के संबंध में स्थानीय स्तर पर जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। जिससे को ऑपरेटिव बैँक और सहकारिता विभाग में खलबली मची हुई है। वहीं इन पैक्सों में वर्त्तमान कमेटी के चुनाव पर संशय छा गया है। इधर बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के स्तर से भी पैक्सों के चुनाव को लेकर तैयारी की जा रही है। इनमें ज्यादातर पैक्सों का कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है। पैक्सों के चुनाव समय पर कराने को लेकर विभागीय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। जून में पैक्सों में होने वाले चुनाव को लेकर प्रस्ताव प्राधिकार के द्वारा मांगा गया था। लेकिन मतदाता सूची तैयार नहीं होने के कारण प्रस्ताव को भेजने में विलंब हुआ है।
पैक्स अध्यक्षों की मनमानी—
पैक्स में इनके सदस्य की भाग लेते हैं। लेकिन सदस्यता का विवाद यहां पर हमेशा बना रहा है। दरअसल सदस्यता विवाद पैक्स के कब्जे की लड़ाई से भी जुड़ा है। सदस्य की इसमें भाग लेते हैं, इसलिए चुनाव के इच्छुक ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थक को सदस्य बनाते हैं क्योंकि पैक्स अध्यक्ष के पास सदस्य बनाने का अधिकार होता है। इसलिए वे अपने समर्थकों के ही सदस्यता आवेदन को प्राथमिकता देते हैं।
एकल पद पर आरक्षण नहीं—
सीधे निर्वाचित होने वाले एकल पदों अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष आदि पद पर आरक्षण लागू नहीं होगा। लेकिन इन पदों की गणना निदेशक मंडल के लिए होगी। पूरे निदेशक मंडल पर आरक्षण का प्रावधान लागू होगा। जैसे बारह सदस्यीय निदेशक मंडल में अध्यक्ष, सचिव पद आदि सीधे निर्वाचन से होना हो तब भी इन पदों को अनारक्षित मानते हुए शेष दस पदों में से छह पद आरक्षित होंगे। सहकारी समिति के प्रबंधकारिणी समिति में से एससी व एसटी के लिए दो, पिछड़े वर्ग के लिए दो, अति पिछड़े वर्ग के लिए दो सीट रिजर्व हैँ। प्रबंधकारिणी समिति में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होगा। समिति में यदि आरक्षित कोटि के सदस्य नहीं है तो आरक्षित पद रिक्त रहेंगे।
क्या कहते हैं अधिकारी—
डीसीओ सह एमडी को ऑपरेटिव सुरेन्द्र प्रसाद मंडल ने बताया कि विभागीय प्रावधान के तहत कार्रवाई की जा रही है।
