महिला आरक्षण बिल पर बोली पूर्व मुख्यमंत्री मायावती बोली, कहा- भाजपा की नीयत साफ नहीं

लखनऊ- 20 सितम्बर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को संसद में पेश हुए महिला आरक्षण को लेकर बुधवार को लखनऊ में एक पत्रकारवार्ता की है। उन्होंने कहा कि यह संविधान संशोधन विधेयक वास्तव मेंं महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है। इसकी आड़ में केवल इनका वोट हासिल करने के लिए अपने-अपने स्वार्थ की राजनीति कर रहे है और कुछ भी नहीं है।

मायावती ने कहा कि मंगलवार को मैंने नये संसद भवन में महिला आरक्षण विधेयक के पेश किये जाने से कुछ समय पहले इस आने वाले विधेयक के सम्बन्ध में सम्भावनाओं के आधार पर जो कुछ भी सन्देह जताते हुये कहा था तो वे काफी कुछ इस बिल के पेश किये जाने के बाद सही साबित हुये है। क्योंकि इस महिला आरक्षण से सम्बन्धित संविधान के 128वें संशोधन विधेयक 2023 के अन्तर्गत, देश में लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में भी 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिये जाने के कुछ प्राविधान, इसमें इस प्रकार से बनाये गये है। इसके तहत अगल 15-16 वर्षां तक, देश की महिलाओं को यह आरक्षण प्राप्त नहीं हो पायेगा।

इस विधेयक में ऐसे जो प्राविधान रखे गये है उनका मैं यहां उल्लेख करना बहुत जरूरी समझती हूँ। इस संशोधन के तहत इस महिला आरक्षण विधेयक के पास होने के बाद पहले पूरे देश में जनगणना कराई जायेगी। जब यह जनगणना पूरी हो जायेगी तब उसके बाद ही पूरे देश में लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं का परिसीमन पुनः कराया जायेगा और उसके बाद ही तब यह महिला आरक्षण सम्बन्धी संशोधन विधेयक लागू होगा। जबकि यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नये सिरे से जनगणना कराने में अनेकों वर्ष लग जाते हैं। पिछली जनगणना सन 2011 में प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद आज तक दोबारा जनगणना नहीं हो सकी है।

ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के पश्चात इस नई जनगणना में, जिसमें अनेकों वर्ष लग जायेंगे तब फिर उसके बाद ही फिर पूरे देश में परिसीमन का कार्य शुरू किया जायेगा। जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे और इस परिसीमन के पश्चात ही तब फिर यह महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा, जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 वर्ष रखी गई है।

इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संविधान संशोधन विधेयक वास्तव मेंं महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है। बल्कि आने वाली विधानसभाओं तथा लोकसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओें को यह प्रलोभन देकर व उनकी आँखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है। इसके सिवाय कुछ भी नहीं है।

इतना ही नहीं बल्कि इन वर्गों की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिये जाने के मामले में पूर्व में केन्द्र की रही कांग्रेस सरकार द्वारा लाये गये बिल में भी इसकी व्यवस्था नहीं की गई थी। जिसके कारण उस दौरान भी यह बिल पास नहीं हो सका था, लेकिन अपने राजनैतिक लाभ के लिए अब इस पार्टी के भी नेता यानि की कांग्रेस पार्टी के भी नेता इन वर्गों की महिलाओं को अलग से आरक्षण दिये जाने की वकालत कर रहे हैं।

इससे साफ जाहिर है कि देश की महिलाओं को लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में इनको आरक्षण देने के मामले में भाजपा व कांग्रेस पार्टी एण्ड कम्पनी के लोगों की पूरे तौर से नीयत साफ नहीं है। और ये सभी पार्टियां इसकी आड़ में केवल इनका वोट हासिल करने के लिए अपने-अपने स्वार्थ की राजनीति कर रहे है और कुछ भी नहीं है। इसलिए देश की महिलाएं ऐसी सभी पार्टियों से जरूर सावधान रहें, जिनसे इन्हें कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।

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Author: lakshyatak

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