मधुबनी- 14 अगस्त। जिला मुख्यालय के रांटी गांव निवासी 93 वर्षीय मधुबनी कलाकार गोदावरी दत्त कई पुरस्कारों की हकदार थी पर 2019 में, उन्होंने मिथिला कला में अपने अनुकरणीय योगदान के लिए देश के चोथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार,प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार मिला। 13 वर्षीय लड़की ने अपने इनोवेशन से माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला को प्रभावित किया था। जिन्हें 2006 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा शिल्प गुरु की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1980 के दशक में अपने कौशल को साझा करना शुरू किया। उन्होंने भारत और विदेशों में कई शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया है। तथा छात्रों,शिक्षकों और कलाकारों सहित लगभग 50,000 व्यक्तियों को कला का प्रशिक्षण दिया था। उन्होंने बिहार के मिथिला के गांव की महिलाओं को अपनी कला बेचने के अवसर प्रदान करके उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में भी सक्षम बनाया। गोदावरी इस कला के लिए एक संग्रहालय स्थापित करके,लुप्त होती इस कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अपना योगदान दी थी। एक वार्ता में उन्होंने बाताई थि कि जापान का एक कलाकार हमसे मिथिला पेंटिंग का संग्रह लेकर जाता था। वह पेंटिंग लेकर वहां प्रदर्शनी लगाता था। काम से प्रभावित होकर भारत के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने उसे जापान ले जाने के लिए कहा, जहां हम मिथिला पेंटिंग पर काम कर सकें मिथिला संग्रहालय के संरक्षण और निर्माण में सात साल का लंबा समय लगा। गोदावरी विशेष रूप से बांस की छड़ियों का उपयोग करके पेंटिंग बनाती थीं, जिसमें प्राकृतिक रंगों की मदद से उनकी कला में रंग भर दिए जाते थे। लुप्त हो रही कला को जीवित रखने के अपने प्रयास में, वह कलाकारों की युवा पीढ़ी पर भरोसा करती थी। उन्होंने कहा था कि मिथिला कला अद्वितीय है। तथा आने वाली पीढ़ी को भी इसे जीवित रखने के बारे में सोचना चाहिए।
