मधुबनी-25 जुलाई। स्थानीय मदरसा इस्लामिया राघौनगर भौआड़ा के परिसर में प्रसिद्ध उर्दू कवि सुल्तान शम्सी की दुसरी कविता पुस्तक “अंदाज-ए-सोखन” का विमोचन हुआ। प्रो. इस्तेयाक अहमद के अध्यक्षता में आयोजित पूस्तक विमोचन समारोह में कई लेखक एवं बुद्धजीवि शामिल हुए। पुस्तक विमोचन समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रो. अबरार इजरावी ने कहा कि सुल्तान शम्सी हमेषा से उर्दू कविता के साथ-साथ आलेखों से जूड़े रहे हैं। उन्हेने कहा कि सुल्तान शम्सी से आने वाली नस्लों को सीख लेने की जरूरत है। प्रो. अबरार ने कहा कि कवि सुल्तान शम्सी ने अपनी पुस्तक “अंदाज-ए-सोखन” के मध्यम से उर्दू कवित से कई ओर इषरा किया है।
प्रो. इस्तेयाक अहमद ने कहा कि उर्दू कविता हो या फिर लेखनी सुल्तान शम्सी बेलोस इस क्षेत्र में कार्य करते रहे हैं।
जबकि सुल्तान शम्सी ने कहा कि उर्दू के तरक्की में बेलोस खिदमत की जरूरत है। तभी जाकर उर्दू विकसित होगी।
प्रो. मो. जूनैद ने कहा कि उर्दू की तरक्की के लिए कई तरह से आप अपनी खिदमत दे सकते हैं। जैसे की अपने घरों में बच्चों अपने बच्चों को अन्य षिक्षा के साथ-साथ उर्दू की षिक्षा लाजमी तौर पर दें। इसी तरह अपने गांव-मौहल्लों में भी उर्दू को लेकर लोगों को जगरूक करें। उसके अलावा आज कवि सुल्तान शम्सी ने अपनी पुस्तक “अंदाज-ए-सोखन” जैसी अन्य उर्दू पुस्तक के साथ-साथ उर्दू अखबार अपने-अपने घरों में मंगवाकर पढ़ने से भी उर्दू की सच्ची खिदमत होगी।
मौके पर मौलाना अनिसूर रहमान,अब्दुल हफीज,मौलाना नुरैन,मौलाना मंसुर,गजनफर जलाल, पत्रकार शादिह कामरान आदि ने भी कवि सुल्तान शम्सी की पुस्तक “अंदाज-ए-सोखन” पर प्रकाष डाला।