नई दिल्ली- 14 नवंबर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सोमवार को देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों से कहा कि वे अपने संबंधित संस्थानों में पेशेवरों और उद्योग विशेषज्ञों को ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के रूप में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
यूजीसी ने सभी एचईआईएस को ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की नियुक्ति के नियमों के संबंध में एक पत्र लिखा है। इसमें विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों से अनुरोध है किया गया है कि वे अपने संस्थानों में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की नियुक्ति को सक्षम करने के लिए अपने कानूनों, अध्यादेशों, नियमों व विनियमों में आवश्यक परिवर्तन करें। इस संबंध में की गई कार्रवाई को विश्वविद्यालय अपने गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा भी करें।
उल्लेखनीय है कि ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ ऐसे लोग होंगे जो प्रारंभिक पेशे से शिक्षक नहीं हैं और न ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है। बावजूद इसके उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। यह ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव रहा है।
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बताया कि 14 नवंबर को इस संबंध में देशभर के विश्वविद्यालयों को एक आधिकारिक पत्र लिखा गया है। विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) को पेशेवर विशेषज्ञों को नियुक्त करने में सक्षम बनाने के लिए यूजीसी ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ नामक एक नया पद सृजित किया है। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को नियुक्त करने के लिए दिशानिर्देश भी प्रकाशित किए हैं। पत्र में विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को लागू करने के लिए अपने संस्थानों के प्रावधानों में आवश्यक परिवर्तन करें।
यूजीसी के अध्यक्ष के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों में से एक उच्च शिक्षण संस्थानों में समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करना है। इसके लिए शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में अनुभवी चिकित्सकों, पेशेवरों, उद्योग विशेषज्ञों आदि की भागीदारी की आवश्यकता हो सकती है। यूजीसी के इस पत्र में विश्वविद्यालयों से ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ को शामिल करने को कहा गया है। इस तरह के पद उद्योग और अन्य व्यवसायों के अनुकरणीय अनुभव वाले लोगों को छात्रों को पढ़ाने के लिए आकर्षित कर सकते हैं।