मधुबनी- 09 नवंबर। बिहार में उर्दू को दूसरी सरकारी जबान का दर्जा दिया गया। परंतू अब तक उर्दू के साथ नाइंसाफी होते आ रही है। पंचायत एवं विधानसभा स्तर पर उर्दू के जानकारों की संख्या अधिक होने के बाद भी इन क्षत्रों में पड़ने वाले सरकारी कार्यालयों में उर्दू को नजरअंदाज किया जा रहा है। ताजा मामला मधुबनी जिले के जयनगर मुख्यालय में देखने को तब मिला,जब जयनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय का रंगाई-पुताई काम पूरा करने के बाद प्रखंड सह अंचल कार्यालय में अधिकारियों के आदेश पर कार्यालय का नाम हिन्दी में लिख दिया गया। परंतू उर्दू में नाम नहीं लिखा गया।
बताते चलें कि बीते दिनों प्रखंड कार्यालय स्थित समुदायिक प्रशिक्षण भवन में पंचायत समिति की बैठक में उर्दू भाषियों के द्वारा जयनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय का नाम हिन्दी के साथ-साथ उर्दू में लिखने की मांग रखी गयी थी। अधिकारियों ने इस मुद्दे को प्रस्ताव के माध्यम से ऊर्दू में लिखने पर सहमति बनी। लेकिन प्रखंड सह अंचल कार्यालय का रंग रंगाई कार्य के दौरान प्रखंड कार्यालय का नाम सिर्फ हिन्दी में लिखा गया। सरकार के आदेश पर भी अधिकारी अपनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मुखिया मो. जियाउद्दीन,पूर्व मुखिया इदरीस मंसूरी, असलम अंसारी,सरपंच जहांगीर हाशमी,मो. सईम शेख,भाकपा नेता मो. जहांगीर समेत अन्य ने बताया कि खजौली विधानसभा क्षेत्र में उर्दू जानकरों की संख्या प्रथम स्थान पर है। इसके बावजूद खजौली विधानसभा क्षेत्र के जयनगर,बासोपट्टी एवं खजौली प्रखंड सह अंचल कार्यालय के अलावे अन्य सरकारी कार्यालयों में उर्दू के साथ घोर अन्याय किया जा रहा है। अधिकारीयों ने अपने कार्यकाल तक में हिंदी के साथ उर्दू में नाम नहीं लिखा पातें है। इससे साफ जाहिर है कि मधुबनी जिले के विभिन्न प्रखंडों में उर्दू के साथ सौतेलापन रवैया अपनाया जा रहा है।
इधर उर्दू एक्सन कमिटी के जिला अध्यक्ष मो.अमानउल्लाह खान ने बताया कि जयनगर में अधिकारी एवं कर्मियों के द्वारा उर्दू को नजरअंदाज करने की बात सामने आयी है। इसको लेकर जिलाधिकारी से मिलकर उर्दू में बोर्ड लिखाने की बात रखी जाएगी। वहीं उन्होने उर्दू जानकारों से उर्दू के प्रति जागरूक होने की अपील की।
