फर्जी इंडियन वीजा बनाने वाले 2 अफ्रीकी गिरफ्तार

नई दिल्ली- 09 अगस्त। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की डब्लूआर-1 यूनिट ने दो ऐसे अफ्रीकियों को गिरफ्तार किया है, जो फर्जी इंडियन वीजा बनाने के साथ, बैंक लोन, गिफ्ट दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। इस मामले में गिरफ्तार आरोपितों की पहचान ओर्टेगा लियोनार्ड और डियोमांडे अली के रूप में हुई है। ये अफ्रीका के रिपब्लिक ऑफ घाना और रिपब्लिक ऑफ डी आइवर के रहने वाले हैं।

अपराध शाखा के डीसीपी विचित्र वीर ने मंगलवार को बताया कि इनके पास से एक लैपटॉप, जिसमे ब्लैंक फॉर्मेट, फेक वीजा का ड्राफ्ट, एक कलर प्रिंटर, ब्लैंक वीजा प्रिंटिंग शीट, फर्जी वीजयुक्त छह पासपोर्ट, भारतीय खाते के 28 एटीएम कार्ड, बैंक पासबुक और 11 मोबाइल बरामद किया गया है। इन्होंने अब तक करीब एक करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया है।

डीसीपी ने बताया कि एसीपी डब्लूआर 1, राज कुमार की देखरेख में टीम का गठन कर उन इलाकों में निगरानी और पेट्रोलिंग के लिए लगाया गया था, जहां अफ्रीकियों की संख्या बहुल है। साइबर क्राइम, ठगी और ड्रग्स आदि के धंधे में लिप्त अफ्रीकियों पर नजर रखने के दौरान पुलिस को यह सफलता मिली है।

पुलिस को सूत्रों से दो अफ्रीकियों के बारे में जानकारी मिली जो निलोठि एक्सटेंशन के चंदर विहार के इलाके में रहते थे। ये खुद ही एक तो अवैध रूप से इंडिया में रह रहे थे, साथ ही फर्जी इंडियन वीजा बना कर ये उन अफ्रीकियों की भी मदद कर रहे थे, जिनका वीजा एक्सपायर हो चुका था।

इस जानकारी पर कर्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने छापेमारी कर दोनों आरोपितों को दबोच लिया। इनके पास से लैपटॉप में फर्जी वीजा का फॉर्मेट, प्रिंटर, 11 मोबाइल, 28 भारतीय बैंक एकाउंट के पासबुक और एटीएम कार्ड आदि बरामद किया गया है. इससे ये ठगी की रकम की निकासी करते थे।

पूछताछ में दोनों आरोपितों ने बताया है कि 2018 में ये तीन महीने के टूरिस्ट वीजा पर इंडिया आये थे, लेकिन वीजा एक्सपायर होने के बाद भी ये वापस नहीं लौटे। आगे उन्होंने बताया कि वे फर्जी वीजा बना कर उन अफ्रीकियों को देते थे, जिनका वीजा एक्सपायर हो चुका था। इसके लिए ये चार से पांच हजार रुपये प्रति वीजा चार्ज करते थे। अब तक उन्होंने 30 से ज्यादा फर्जी वीजा बना कर उन अफ्रीकियों को दिया है, जिनका वीजा एक्सपायर हो चुका था।

इस मामले में पुलिस दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है और बरामद लैपटॉप, बैंक पासबुक, एटीम और मोबाइल के डेटा का विश्लेषण कर ठगी के रकम का पता लगाने और आगे की जांच में जुट गई है। अब तक कि जांच में करीब एक करोड़ रुपये की ठगी का पता चला है।

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Author: lakshyatak

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