BIHAR:- उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के.पाठक द्वारा अभद्र भाषा के खिलाफ अधिकारियों का विरोध प्रदर्शन जारी, मधुबनी के अधिकारियों ने मौन रखकर जताया विरोध, SDM अश्विनी ने कहा-बिहार के अस्मिता का सवाल

मधुबनी- 03 फरवरी। अपर मुख्य सचिव मद्द निषेध उत्पाद सह निबंधन विभाग एवं बिपार्ड के महानिदेशक के.के.पाठक द्वारा बिहार वासियों एवं बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों के प्रति कह गए अभद्र भाषा एवं गाली का प्रयोग सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के आह्वान पर बिाहर के पदाधिकारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को मधुबनी जिले में पदस्थापित बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने काला बिल्ला लगाकर कामकाज करते हुए विरोध जताया।

बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के महासचिव सुनील कुमार तिवारी के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्री पाठक द्वारा बिहार के लोगों एवं बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी, डिप्टी कलेक्टर के अलावा बासा के अधिकारियों के प्रति गाली एवं अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है। जिसको लेकर बासा सरकार से मांग करती है कि श्री पाठक को निलंबित करते हुए इनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की जाए। वहीं दोपहर में भाषा के पदाधिकारियों ने मधुबनी समाहरणालय के प्रांगण में श्री पाठक के मानसिक शुद्धिकरण और बिहार की अस्मिता की रक्षा के लिए तीन मिनट का मौन रखा।

मौके पर जिला बासा संघ के प्रभारी उपाध्यक्ष पीजीआरओ फुलपरास सुरेंद्र राय ने बताया कि यह बिहार की अस्मिता का सवाल है। एक पदाधिकारी द्वारा बिहार के लोगों एवं बासा के पदाधिकारियों के संबंध में दिए गए बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। बासा इसका विरोध करते हुए चरणबद्ध आंदोलन जारी रखेगा।

बासा के जिला सचिव सह मधुबनी सदर एसडीएम अश्विनी कुमार ने कहा कि ऐसे पदाधिकारी के विरुद्ध सरकार कार्रवाई करें। तथा बिहारियों एवं बासा के पदाधिकारियों के मान-सम्मान की रक्षा करे। उन्होने कहा कि बिहार के अस्मिता का सवाल है। इस लिए बिहार वासियों एवं अधिकारियों के मान.सम्मान को लेकर बासा कार्रवाई की मांग करती है।

मौन व्रत में बासा के पदाधिकारियों में पंचायती राज पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार,आपूर्ति पदाधिकारी बंदना कुमारी,पीजीआरओ बेनीपट्टी किशोर कुमार, वरीय उप समाहर्ता अमित विक्रम बैनामी,मयंक सिंह,साहिब रसूल,पीजीआरओ सदर निधि राज, डीसीएलआर राकेश कुमार शामिल थे।

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Author: lakshyatak

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