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वैज्ञानिक सोच के लिए तथ्य का अवलोकन जरूरी

मधुबनी में आयोजित चार दिवसीय विज्ञान कार्यशाला संपन्न

मधुबनी-16 नवंबर। वैज्ञानिक सोच के लिए तथ्य का अवलोकन जरूरी है। यह तभी संभव है जब मानव प्रकृति से लगाव रखें। उसकी भाषा को समझने की कोशिश करें। विज्ञान के लोकप्रिय बनाने के लिए आयोजित प्रायोगिक कार्यशाला को संबोधित करते हुए डा. प्रो. कुंवर जी राउत ने यह बात कही। रीजनल सेकेन्डरी स्कूल में भारत सरकार के विज्ञान प्रसार विभाग और सांयस फॉर सोसायटी के साथ ही खादी तथा ग्रामोद्योग संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन विभिन्न विज्ञान शिक्षक व बाल वैज्ञानिकों ने संबोधित किया। इसदौरान बच्चों ने अपने आसपास पौद्ये और छोटे जीव के जीवन चक्र को प्रदर्शित करते हुए कई प्रयोग किये। मौके पर निदेशक सह बाल विज्ञान कांग्रेस के राज्य संयोजक डा. आरएस पांडेय ने कहा कि प्रकृति की निकटता ही विज्ञान को आम जन से जाड़ने में सफलता दिलायेगा। उन्होंने कार्यशाला में किये गये  प्रयोगों को आत्मसात करने और इसतरह के प्रयोग अपने जीवन में हर दिन करने को उत्साहित बच्चों को किया। वहीं एफ लेवल के वैज्ञानिक डा. वीके त्यागी ने कहा हमें प्रकृति के बीच प्रयोगधर्मी होना होगा। उन्होंने सूचना को ज्ञान से परे बताते हुए कहा कि इनोवेशन आइडिया को जीवन में उपयोगी कैसे हो, इसके लिए काम करना चाहिए। प्राचार्य सह बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला संयोजक मनोज कुमार झा ने कहा कि विज्ञान ही हर समय आपदा व विपदा में जीवन की रक्षा की है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि बच्चों में खोजपरक विचार काफी हैं। जरूरत हैं स्कूल के शिक्षक इसे समझे और विकसित बनाने में अपनी भूमिका निभायें। अरवल से आए बाल विज्ञान कांग्रेस के मनोज कुमार और ई प्रत्युष परिमल ने बताया कि प्रकृति से स्थापित सीधा संवाद ही मानव को सफल बनाता है। इसदौरान संस्था के सचिव जावेद आलम ने विभिन्न प्रयोगों के माध्यम से आगे बढ़ने पर बल दिया। कहा बच्चों को हमेशा सवाल करते रहना है। इसदौरान विभिन्न स्कूलों से आए विज्ञान शिक्षकों ने इसतरह की कार्यशाला को जीवन के लिए बेदह उपयोगी बताया। वहीं कार्यशाला में भाग लेने वाले 50 छात्र व छात्राओं ने बताया कि इससे विज्ञान के प्रति उनका नजरिया ही बदल गया है। विज्ञान किसतरह जनसामान्य के लिए उपयोगी हो, इसकी समझ उनमें विकसित हुई है।
इसदौरान राजीव कुमार, धर्मेन्द्र कुमार पांडेय, हनुमान झा, अमित शाही, पवन तिवारी व अन्य थे।

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Author: lakshyatak

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