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उत्तराखंड: बदरी-केदार मंदिरों में पेटीएम क्यूआर कोड पर स्थिति स्पष्ट, 67 लाख हुए प्राप्त

देहरादून- 02 मई । बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर परिसरों में पेटीएम क्यूआर कोड स्कैनर लगाने की स्थिति स्पष्ट हो गई है। पेटीएम और मंदिर समिति के साथ 2018 में अनुबंध हुआ था। क्यूआर कोड वायरल होने पर मंदिर समिति ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पेटीएम से अब तक मंदिर समिति को दान के रूप में 67 लाख रुपये प्राप्त हुए है। मंदिर समिति के अध्यक्ष ने पेटीएम कंपनी से कड़ी नाराजगी जताई है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि पेटीएम की ओर से देश के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं/ तीर्थ यात्रियों को डिजिटल दान की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस क्रम में बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वर्ष 2017 में संपन्न बोर्ड बैठक में केदारनाथ धाम में यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पेटीएम के साथ अनुबंध करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव के क्रम में वर्ष 2018 में दोनों पक्षों के बीच अनुबंध हुआ। तब से निरंतर पेटीएम की ओर से केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड के छोटे साइन बोर्ड लगाए जाते रहे हैं।

पेटीएम की ओर से वर्तमान यात्रा काल में केदारनाथ के अलावा बदरीनाथ धाम में बड़े साइज के कई साइन बोर्ड लगाए गए। मगर पेटीएम की ओर से क्यूआर कोड के बोर्ड लगाने से पूर्व बीकेटीसी के सक्षम अधिकारियों को लिखित और मौखिक किसी भी तरह से बोर्ड लगाने अथवा उनके साइज, स्थान आदि के बारे में कोई चर्चा और जानकारी नहीं दी गई।

उन्होंने बताया कि इस प्रकरण का बीकेटीसी के अधिकारियों के संज्ञान में आने पर इन्हें तत्काल हटा दिया गया था। बीकेटीसी ने प्रकरण की अपने स्तर से भी जांच की और किसी प्रकार की धोखाधड़ी की आशंका के चलते पुलिस को लिखित में शिकायत सौंपी। बीकेटीसी की आंतरिक जांच और पुलिस में शिकायत के पश्चात पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से मंदिर प्रशासन से संपर्क किया गया। मंदिर प्रशासन की ओर से अपनी जांच में पाया गया है कि पेटीएम के माध्यम से अनुबंध के पश्चात से अब तक मंदिर समिति को 67 लाख रुपये दान के रूप में प्राप्त हुए हैं।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पेटीएम की ओर से हुई इस चूक पर कंपनी के अधिकारियों से कड़ी नाराजगी जताई और इसे गैर जिम्मेदाराना रवैया बताया। इस पर पेटीएम के अधिकारियों की ओर से बीकेटीसी प्रशासन से मौखिक रूप में अपनी गलती को स्वीकारते हुए पूरे घटनाक्रम पर खेद व्यक्त किया गया है।

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Author: lakshyatak

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