ईरान में जनरल सुलेमानी की बरसी पर 2 धमाके में 100 से अधिक लोगों की मौत

तेहरान/दुबई- 03 जनवरी। ईरान की राजधानी तेहरान से 820 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित करमान शहर में बुधवार को हुए दो धमाकों में कम से 103 लोगों की मौत हो गई, जबकि 188 घायल हुए हैं। ईरान की सरकारी मीडिया ने इसकी पुष्टि की है।

जानकारी के अनुसार जनरल कासिम सुलेमानी की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में ये धमाके हुए। इस हमले को ईरान में 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद सबसे घातक आतंकवादी हमला माना जा रहा है। इस हमले की अभी तक किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। अधिकारियों ने कहा कि बाद में भागते समय कुछ लोग घायल हुए।

ये धमाके रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कुद्स फोर्स के प्रमुख रहे जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की चौथी बरसी पर करमान में उनकी कब्र के करीब आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुआ। ईरान के आंतरिक मामलों के मंत्री अहमद वाहिदी ने सरकारी टेलीविजन को बताया कि पहला धमाका अपराह्न तीन बजे के आसपास हुआ जबकि दूसरा धमाका पहले धमाके के करीब 20 मिनट बाद हुआ। उन्होंने बताया कि दूसरे धमाके में सबसे अधिक लोगों की मौत हुई।

ईरान के सरकारी टेलीविजन और समाचार एजेंसी ‘इरना’ ने देश की आपातकालीन सेवाओं के अधिकारियों के हवाले से शुरुआती हताहतों की संख्या की जानकारी दी। बाद में हताहतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई।

इस्लामिक स्टेट समूह सहित सुन्नी चरमपंथी समूहों ने पूर्व में बड़े पैमाने पर हमले किए हैं जिनमें शिया-बहुल ईरान में नागरिक मारे गए। हालांकि करमान अपेक्षाकृत शांत रहा है।

ईरान में हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिनमें 2022 में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद वृहद पैमाने पर हुए प्रदर्शन शामिल हैं। देश में 1979 की इस्लामी क्रांति के आसपास की उथल-पुथल के दौरान भी निर्वासित समूहों के हमलों का सामना करना पड़ा था।

ईरान स्वयं गाजा पट्टी में हमास के साथ-साथ लेबनानी शिया मिलिशिया हिजबुल्लाह और यमन के हुती विद्रोहियों का समर्थन करता है।

सुलेमानी ईरान की क्षेत्रीय सैन्य गतिविधियों के रणनीतिकार थे। ईरानी शासन के समर्थकों के बीच उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मान दिया जाता है। सुलेमानी के मारे जाने के बाद बड़े पैमाने पर जुलूस निकाले गए थे। 2020 में उनके अंतिम संस्कार में भगदड़ मच गई थी और कम से कम 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे।

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Author: lakshyatak

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