[the_ad id='16714']

भारतीय संस्कृति सिखाती है ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

हरिद्वार- 25 दिसंबर। वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता रखना सिखाती है। भारतीय संस्कृति विभेदकारी न होकर समावेशी है, क्योंकि इसमें आत्मा को आधार माना है।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को समापन सत्र में कहा कि गुरुकुल कांगड़ी मात्र एक विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि यह विश्वविद्यालय से बढ़कर है, क्योंकि यहां आत्मबोध की शिक्षा दी जाती है, इसलिए गुरुकुल पर बड़ी जिम्मेदारी है। भारतीय संस्कृति के वैभव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ने विश्व को नई दृष्टि दी है, क्योंकि इसने मानवता का दिव्यताकरण और दिव्यता का मानवीयकरण करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ज्ञान की सभी शाखाओं में आध्यात्मिक दृष्टिकोण भारतीय ज्ञान परंपरा की देन है और हमें इस विरासत पर गर्व होना चाहिए।

वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के संरक्षक डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने ईश्वर, वेद और सत्य के लिए अपने जीवन को देश को समर्पित किया था तथा उनके शिष्य स्वामी श्रद्धानन्द ने देश की चेतना में भारतीयता के बीज रोपित किए आजादी का आंदोलन में स्वामी श्रद्धानन्द की अग्रणी भूमिका थी। डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने देश में पाखंड खंड़िनी पताका फहराया और स्वामी स्वामी श्रद्धानन्द ने जामा मस्जिद को वेद मंत्रों से गुंजायमान कर दिया था।

कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महापुरुष संसार की विकृति से प्रेरित होकर सृजन करने का कार्य करते हैं ऐसा ही कार्य स्वामी दयानंद और स्वामी श्रद्धानन्द ने किया था उन्होंने समाज को अपने तपोबल से नई दिशा दिखायी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमें स्वामी श्रद्धानन्द का अनुगामी बनाना चाहिए और अनुगामी बनने के लिए साधन नहीं समर्पण की आवश्यकता है।

हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि वेद के ज्ञान से ही सम्पूर्ण विश्व में सुख, शांति और समृद्धि संभव है। पश्चिम की संस्कृति दुनिया को बाजार मानती है और हमें विश्व को एक परिवार माना है यह भेद हमें दुनिया से भिन्न करता है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान की महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है गुरुकुल कांगड़ी मानव चरित्र निर्माण का कार्य करता है इसलिए नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन में गुरुकुल अन्य विश्वविद्यालयों का नेतृत्व करेगा।

कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि वैदिक ज्ञान विज्ञान और वेद के वास्तविक स्वरूप की स्थापना स्वामी दयानंद ने की थी वसुधैव कुटुम्बकम् वेद की मूल भावना है यह मनुष्य बनने की प्रेरणा देता है।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सांसद डॉ. सत्यापल सिंह के जीवन पर केन्द्रित डॉ. सत्यपति तिवारी की लिखित पुस्तक सत्य का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रो. ब्रह्मदेव के संपादन में निकलने वाली शोध पत्रिका गुरुकुल पत्रिका के नूतन अंक का विमोचन भी किया गया।

समापन समारोह का संचालन डॉ. अजय मलिक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर मुख्य संयोजक प्रो. प्रभात कुमार, प्रो. अंबुज शर्मा, प्रो. सुचित्रा मलिक, प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय, प्रो. डीएस मलिक, डॉ. गगन माटा, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. शिव कुमार चौहान, डॉ. अजित तोमर, डॉ राजुल भारद्वाज, डॉ शिव कुमार चौहान, रजनीश भारद्वाज, नरेंद्र मलिक, दीपक वर्मा, रमेश, दीपक आनंद सहित छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

lakshyatak
Author: lakshyatak

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!