[the_ad id='16714']

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बतौर वकील पेश की थी अपील, राजस्थान हाईकोर्ट का 34 वर्ष बाद हुआ निस्तारण

जयपुर- 18 सितंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के मामले में 34 साल पहले पेश अपील का निस्तारण करते हुए अभियुक्त को मिली सजा को कम करते हुए उसे भुगती हुई सजा तक सीमित कर दिया है। हालांकि अदालत ने कहा कि यदि मामले में लगाया गया हर्जाना अभियुक्त दो माह में जमा नहीं कराता है तो उसे डिफॉल्ट सजा भुगतनी होगी। जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश गुरुदयाल सिंह की अपील का निस्तारण करते हुए दिए। दिलचस्प बात यह है कि इस अपील को वर्ष 1989 में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बतौर वकील रहते पेश की थी। वहीं अब उनके भांजे की पत्नी ने बतौर अधिवक्ता यह केस लडा है।

अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी 2 माह 19 दिन की अवधि जेल में बिता चुका है। इसके अलावा वह 83 साल का अपीलार्थी अपने ऊपर पिछले 35 साल से आपराधिक मुकदमा लंबित रहने का दर्द झेल रहा है। ऐसे में उसकी सजा को भुगती हुई सजा तक सीमित करना उचित होगा।

अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि 6 मार्च 1988 को अलवर के किशनगढ़ बास थाने में राजेन्द्र सिंह को चाकू मारकर घायल करने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जांच के दौरान राजेंद्र की मौत होने पर अदालत में हत्या के आरोप में चालान पेश कर दिया। वहीं एडीजे कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या को लेकर आईपीसी की धारा 302 भाग 2 में अपीलार्थी को चार साल की सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील पेश की गई। अपीलार्थी की ओर से कहा गया कि घटना 35 साल पुरानी है और अपीलार्थी 83 साल का वृद्ध हो चुका है। ऐसे में उसकी सजा कम कर भुगती हुई सजा तक सीमित कर दिया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपील का निस्तारण कर दिया है।

lakshyatak
Author: lakshyatak

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!