विश्व

संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोले इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो, कहा, ”आज हम एक ऐसी दुनिया में खड़े हैं जहां मानवता का भविष्य संकट में है

न्यूयार्क- 25 सितंबर। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में दिया गया भाषण चर्चा में आ गया है। प्रबोवो ने अपने भाषण के दौरान ओंकार शब्द का उच्चारण किया और इसका समापन ओम शांति ओम के साथ किया। उन्होंने अपने भाषण के दौरान नमो बुद्धाय और यहूदी अभिवादन शालोम भी कहा।

प्रबोवो ने अपने भाषण के दौरान इजराइल के समर्थन में बड़ा बयान दिया। उन्होंने शांति, न्याय एवं मानवता के लिए वैश्विक एकजुटता पर जाेर देते हुए इजराइल काे भी सुरक्षा गांरटी दिए जाने का आह्वान किया। प्रबोवो ने कहा, ”आज हम एक ऐसी दुनिया में खड़े हैं जहां मानवता का भविष्य संकट में है। भय, घृणा, नस्लवाद और उत्पीड़न की दीवारें हमें बांट रही हैं, लेकिन मैं कभी औपनिवेशिक जंजीरों में जकड़ी इंडोनेशिया की धरती से यह संदेश लेकर आया हूं कि शांति संभव है। हमारी कहानी संघर्ष की है, पर यह आशा की भी है। हमने गुलामी का दंश झेला फिर भी हमने स्वतंत्रता और एकता का मार्ग चुना।”

अपने संबाेधन में इजराइल का उल्लेख करते हुए इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने कहा, “अब्राहम की विरासत का हिस्सा इजराइल आज हिंसा और दुख के चक्रव्यूह में फंसा है। हम गाजा के संकट को देखते हैं जहां हजारों निर्दोष जीवन से हाथ धाे रहे हैं। मैं इजरायल के लोगों से कहता हूं कि उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। आपका हक है कि आप शांति और सम्मान के साथ जीएं, लेकिन सच्ची शांति तभी आएगी जब हम हिंसा का रास्ता छोड़ेंगे। मैं मानवता के नाम पर तत्काल युद्धविराम की मांग करता हूं।”

उन्हाेंने कहा कि उनका देश गाजा और इजराइल में शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने 20,000 शांति सैनिक भेजने को तैयार है। राष्ट्रपति ने कहा, “हम थुकीडाइड्स के सिद्धांत को खारिज करते हैं कि ‘मजबूत जो चाहे वही करे।’ शक्ति सही नहीं बनाती। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों अब्राहम के वंशज, एक साथ रह सकते हैं। यदि इजराइल फिलिस्तीन को मान्यता देता है तो इंडोनेशिया तुरंत इजराइल को मान्यता देगा। दो राष्ट्र, एक साझा भविष्य, शांति और सुलह के साथ रह सकते हैं। अरब, यहूदी, मुसलमान और ईसाई- सभी एक साथ, एक परिवार की तरह। इजरायल के लोगों, आपकी सुरक्षा और सम्मान की गारंटी विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके लिए हमें घृणा को छोड़ना होगा।”

उन्हाेंने समूचे विश्व में शांति स्थापना का आह्वान करते हुए कहा, “आइए, हम एक ऐसी दुनिया बनाएं जहां हर बच्चा बिना डर के सपने देख सके। इंडोनेशिया इस सपने का हिस्सा बनने को तैयार है। हम संयुक्त राष्ट्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शांति के लिए काम करेंगे। आइए, शांति का मार्ग चुनें।”

विश्व नेताओं की तालियाें की गड़गड़ाहट के बीच भाषण के समापन के समय उन्हाेंने सर्वधर्मसंभाव का संदेश देते हुए कहा, “शालोम, सलाम, ओम शांतिः शांतिः शांतिः।”

उल्लेखनीय है कि इंडाेनेशियाई राष्ट्रपति का यह भाषण इजरायल के संदर्भ में विशेष रूप से महत्व रखता है क्योंकि विभिन्न देशाें द्वारा फिलिस्तीन काे मान्यता देने के साथ यह इजराइल की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देता है। उन्हाेंने फिलिस्तीन के साथ शांति और सह-अस्तित्व का आह्वान भी किया।

प्रबोवो ने औपनिवेशिक संघर्ष से इंडोनेशिया की कहानी को जोड़कर इजराइल के इतिहास और चुनौतियों के प्रति सहानुभूति दिखाई। दो-राष्ट्र समाधान और शांति सैनिकों की पेशकश इजराइल को एक व्यावहारिक और सकारात्मक प्रस्ताव देती है जो क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक कदम है। उल्लेखनीय है कि इंडोनेशिया की आबादी लगभग 29 करोड़ है।

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