बिहार

हथकरघा उद्योग को पटरी पर लाने के लिए बुनकरों को कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई गई: CM नीतीश

पटना- 07 अगस्त। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि बुनकरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही है, जिसके कारण उन्हें कच्चा माल खरीदने में परेशानी होती है। इसको देखते हुए बुनकरों को 10 हजार रुपये की दर से कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है।

सीएम ने कहा कि वर्ष 2018-19 से अब तक 6,823 बुनकरों ने इसका लाभ लिया है। इस वर्ष से सभी इच्छुक बुनकरों को कार्यशील पूंजी उपलब्ध करा दी जायेगी। उन्होंने वर्ष 2009 में विकास यात्रा के दौरान और वर्ष 2012 में भागलपुर के नाथनगर में मैंने बुनकरों से बातचीत की, उनकी स्थिति को जाना । उस दौरान बुनकरों ने बताया कि बिजली का बिल अधिक रहने के कारण उसे हमलोग देने की स्थिति में नहीं रहते हैं। मुझे बताया गया कि 21 हजार पावरलूम बुनकरों के साथ यह समस्या है।

सीएम ने कहा कि वर्ष 2006 से हम लोगों ने उनके द्वारा खपत की गई बिजली पर 1.50 रुपये की दर से विद्युत अनुदान दिया और फरवरी 2014 से इसे बढ़ाकर तीन रुपये प्रति यूनिट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मलबरी सिल्क के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी राज्य सरकार द्वारा सहायता दी गई । क्रय आदि में 5,247 लोगों की सहायता दी गई।

सीएम ने कहा कि कहा कि राज्य सरकार की सदैव मंशा रही है कि हथकरघा उद्योग को बढ़ावा दिया जाए ताकि बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो । राज्य सरकार ने इसके लिए अनेक कदम उठाए हैं। बिहार के अस्पतालों में बुनकरों द्वारा तैयार की गयी सतरंगी चादर का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सीएम ने कहा कि सातों दिन अलग-अलग रंग के चादरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुझे जानकारी दी गयी है कि अब तक 7 लाख से अधिक सतरंगी चादरें बनायी गयी हैं। विभिन्न जगहों पर जाकर मुझे बुनकरों से मिलने का मौका मिला है। इसी दौरान पता चला कि ये लोग हथकरघा पर चादर का उत्पादन नहीं करते हैं क्योंकि उनके लूम का फ्रेम साइज छोटा है जबकि चादर बनाने के लिए बड़े और चौड़े फ्रेम की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए बुनकरों को 68 इंच के बड़े फ्रेमलूम को खरीदने के लिए राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

नीतीश कुमार ने कहा कि इस राशि से बुनकर अपने पुराने हथकरघों को 68 इंच बड़े फ्रेमलूम में परिवर्तित कर रहे हैं। इससे वस्त्र निर्माण और अधिक होगा, उसकी मांग बढ़ेगी और बुनकरों को इसका लाभ मिलेगा। अभी तक 381 बुनकरों ने इसका लाभ लिया है। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बुनकर इसका लाभ उठायें।

सीएम नीतीश ने कहा कि किसानों को तसर विकास योजना का लाभ दिया गया है। इसमें तसर वृक्षारोपण, रेशम कीट पालन उपकरण एवं कीटपालन गृह निर्माण के लिए सहयोग दिया जा रहा है। पिछले वर्ष राज्य में 452 लाख तसर कूकन का उत्पादन किया गया है ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हथकरघा एवं टेक्स्टाइल क्षेत्र के विकास के लिए बिहार के टेक्सटाइल एवं लेदर पॉलिसी 2022 लायी गयी, इससे वस्त्र एवं चमड़ा प्रक्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। बुनकर भाई भी इसका लाभ उठायें। उन्होंने कहा कि हमलोग चाहते हैं कि सरकारी गेस्ट हाउस एवं सरकारी कार्यालयों में बुनकरों द्वारा निर्मित हैंडलूम और खादी से बने चादर, परदा, तकिया के खोल का क्रय किया जाय। डॉक्टर और मरीजों के लिये पोशाक क्रय करने का भी निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हथकरघों को उन्नत करने के लिए उद्योग विभाग अलग से समेकित योजना लायेगी। नये डिजाइन के कपड़े तैयार करने के लिए लूम में नई फीटिंग आदि की व्यवस्था की जायेगी। इसके लिए सभी को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि विद्युतकरघा के उन्नयन के लिए नई योजना लाई जायेगी। नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से बिजली की कम खपत होगी और उत्पादन भी अधिक होगा ।

हथकरघा के लिए कच्चा माल केन्द्र की स्थापना की जायेगी ताकि बुनकरों को आसानी से कच्चा माल उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में महिलाएं इस क्षेत्र में काम कर रही है, पुरुष भी काम कर रहे हैं। सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा। अधिक उत्पादन होने से दूसरे राज्यों में भी बने माल की आपूर्ति होगी। लोगों की आमदनी बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों से जितना संभव होगा आप लोगों का सहयोग करेंगे ताकि आपके साथ ही राज्य का भी विकास हो ।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button