
वीके सक्सेना के आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर को जमानत
नई दिल्ली- 25 अप्रैल। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिए गए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को जमानत दे दी है। कोर्ट ने मेधा पाटकर को जुर्माने के एक लाख रुपये और परिवीक्षा बांड के तौर पर 25 हजार का मुचलका भरने का निर्देश दिया।
साकेत सेशंस कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद दिल्ली पुलिस ने मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया था। दिल्ली पुलिस ने आज मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद कोर्ट ने जमानत दी है। 23 अप्रैल को साकेत कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने जुर्माने की एक लाख रुपये के जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान वीके सक्सेना की ओर से पेश वकील ने कहा था कि न तो मेधा पाटकर ने जुर्माने की रकम जमा किया है और न ही कोर्ट में उपस्थित हुई हैं। तब कोर्ट ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिय़ा। इसके पहले 22 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेशंस कोर्ट की ओर से एक लाख के जुर्माने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने मेधा पाटकर को इसके लिए सेशंस कोर्ट जाने को कहा था।
सेशंस कोर्ट ने 8 अप्रैल को वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिए गए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को राहत देते हुए एक साल के लिए परिवीक्षा पर रहने का आदेश दिया था। इसका मतलब है कि मेधा पाटकर को मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से मिली तीन महीने की जेल की सजा की जगह एक साल के लिए परिवीक्षा के तहत रहना होगा। कोर्ट ने मेधा पाटकर को अपने अच्छे आचरण की अंडरटेकिंग की शर्त पर परिवीक्षा में रहने की अनुमति दी थी। जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने 1 जुलाई, 2024 को मेधा पाटकर को सजा सुनाई थी। जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिकतम सजा दो साल की होती है लेकिन मेधा पाटकर के स्वास्थ्य को देखते हुए पांच महीने की सजा दी जाती है।
मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं।
पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था। मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे।
मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था। गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था। बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही। वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।