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यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल हो सकते हैं कर्नाटक के होयसल मंदिर, एएसआई ने भेजा प्रस्ताव

नई दिल्ली- 31 जनवरी। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में कर्नाटक के होयसल मंदिर भी शामिल हो सकते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने साल 2022-23 के यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए होयसल मंदिरों का प्रस्ताव भेजा है। 12वीं-13वीं शताब्दी में निर्मित होयसल मंदिर कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा में स्थित हैं। चन्नाकेश्वा, केशव और होयसलेश्वर मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारक हैं।

इस संबंध में संस्कृति, पर्यटन विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक के चन्नाकेश्वा, केशव और होयसलेश्वर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए नाम भेजा गया है। यह भारत के लिए एक गौरव भरा क्षण है। तीनों मंदिर हमारे देश की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की गवाही देते हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि साल 2023 में यह तीनों मंदिर विश्व धरोहर की सूची में शामिल हो जाएं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार विकास और विरासत दोनों के लिए प्रतिबद्ध है।

होयसल एक असाधारण मूर्तिकला की शैली है जो वहां के कलाकारों ने देश के कई भागों से सीखकर एक अनूठी कलाशैली तैयार की है। इस शैली में बनाई गई कला को एशियाई कला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक माना जाता है।

विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की प्रक्रिया—

भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने औपचारिक रूप से यूनेस्को, विश्व विरासत के निदेशक,लज़ारे एलौंडौ को नामांकन सौंप दिया है। वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर को जमा किए डोजियर तकनीकी जांच होगी। यूनेस्को मार्च की शुरुआत में इसकी जांच करेगा। उसके बाद सितंबर या अक्टूबर 2022 में साइट मूल्यांकन होगा और जुलाई या अगस्त 2023 में डोजियर पर विचार किया जाएगा।

केशव मंदिर—

केशव मन्दिर एक महत्त्वपूर्ण स्मारक हासन ज़िले में बेलूर स्थित केशव मंदिर है। इसका निर्माण विष्णुवर्धन ने सन 1117 ई. में करवाया था। तलकाड़ में चोल शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में निर्मित इस मंदिर के इष्ट देव विष्णु हैं।

होयसलेश्वर मन्दिर—

हलेबिड स्थित होयसलेश्वर मन्दिर शिव को समर्पित है। इसे अलंकृत निर्माण शैली का एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जा सकता है। मान्यता है कि इसका निर्माण कार्य 1121 ई. में प्रारंभ हुआ था और विष्णु वर्धन के पुत्र और उसके उत्तराधिकारी नरसिंह प्रथम के वास्तुकारों ने 1160 ई. में इसे पूरा किया था। होयसल मूर्तिकला शैली इसमें दो एकसमान मंदिर हैं, जो एक ही विशाल आधार मंच पर बने हैं।

सोमनाथपुरा का मंदिर—

सोमनाथपुरा का मंदिर नरसिंह तृतीय द्वारा निर्मित मंदिरों में सोमनाथपुर का प्रसिद्ध केशव मंदिर है। यह अलंकृत शैली में बना एक वैष्णव मंदिर है।

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