भारत

नौकरी की मानसिकता बदलें युवा, रोजगार पाने की बजाय रोजगार उत्पन्न करने वाले बनें: राष्ट्रपति

हिसार- 10 मार्च। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने विद्यार्थी वर्ग से अग्राह किया है कि वे शिक्षा हासिल करके रोजगार पाने की मानसिकता को बदलें और रोजगार पाने की बजाय रोजगार उत्पन्न करने वाले बनें। यदि हम ऐसा करते हैं तो यह समाज कल्याण व देश की उन्नति में बहुत बड़ा कदम होगा।

राष्ट्रपति मुर्मु सोमवार को गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों, डिग्री व गोल्ड मेडल पाने वाले विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अपने ज्ञान व कौशल के बल पर विद्यार्थी समाज का कल्याण करें और देश की तरक्की में अपना योगदान दें। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि दीक्षांत समारोह में पीएडी की डिग्री लेने वालों में बेटियों की संख्या 60 प्रतिशत से ज्यादा व पदक लेने वालों में बेटियों की संख्या 75 प्रतिशत से ज्यादा है। इसके लिए उन्होंने उपलब्धि प्राप्त बेटियों, उनके परिजनों व शिक्षकों को बधाई दी और कहा कि यह केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के विकास व समाज में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी, जिनके सम्मान में इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, महान संत, दार्शनिक व वैज्ञानिक सोच के धनी थे। उनकी नैतिक जीवन शैली व पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी सोच को नमन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति की रक्षा, जीवों के प्रति करूणा, दया का भाव रखना व उन्हें संरक्षण प्रदान करना मानव का नैतिक दायित्य है। वर्तमाान में हम जिन पर्यावरण संबंधी समस्याओं का हल खोज रहे हैं, उनमें गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं प्रासंगिक हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाओं पर चलकर समाज व देश की तरक्की में अपना योगदान देते रहेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपर पावर के रूप में स्थापित करने में उच्च शिक्षण संस्थाओं में किए गए शोध अहम भूमिका निभाएंगे।

हाल ही में राष्ट्रपति भवन में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण के साथ-साथ शोध कार्यों को बढ़ावा देने का आग्रह किया था। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय की 30 वर्ष की यात्रा में यहां के विद्यार्थियों व संकाय सदस्यों के विभिन्न शोध व अनुसंधान परियोजनाओं ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। इस बात की भी खुशी है कि शोध व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में कई विशेष विभाग बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बदलती ग्लोबल डिमांड के अनुसार युवा पीढ़ी को तैयार करना उच्च शिक्षण संस्थाओं के समक्ष बड़ी चुनौती है। देश के संतुलित व सतत विकास के लिए ये भी जरूरी है कि एजुकेशन व टेक्नोलॉजी का लाभ गांव—गांव पहुंचें। इस बात की खुशी है कि गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में 60 प्रतिशत बच्चे गांव या छोटे शहरों से हैं। ऐसे में गांवों तक शिक्षा व तकनीक पहुंचाने में यह विश्वविद्यालय सहायक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने गांवों व छोटे शहरों से आने वाले विद्यार्थियों से भी अपील की कि वे शिक्षा के महत्व का प्रचार-प्रसार करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि समय की मांग के अनुसार शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई। इस बात की खुशी है कि गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के सभी विभागों में नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। नई शिक्षा नीति विकास, मौलिक शोध व रचनात्मकता को बढ़ावा देगी और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में डिग्री व पदक लेने वाले विद्यार्थियों की नई यात्रा की शुरुआत हो रही है। इस नई यात्रा में चुनौेतियां भी हैं और अवसर भी हैं। ऐसे में निरंतर सीखते हुए और अपने कौशल को बेहतर करते हुए चुनौतियों को अवसर में बदल सकते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान व कौशल प्राप्त करने का ही साधन नहीं है। शिक्षा मनुष्य में नैतिक सहिष्णुता व करूणा जैसे जीवन मूल्यों को विकसित करने का माध्यम भी है। शिक्षा आपको रोजगार के योग्य बनाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक भी करती है। उन्होंने उपाधियां व मेडल प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने की, जबकि लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार एवं अन्य आए मेहमानों व डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का स्वागत किया। डॉ. इन्द्रेश कुमार को कार्यक्रम में मानद उपाधि प्रदान की गई।

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