मधुबनी-06 सितंबर। उत्क्रमित माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक या अन्य माध्यमिक स्कूलों में विकास कोष के खाता का संचालन संबंधित स्कूल के प्रभारी एचएम या एचएम और एक अन्य शिक्षक के साथ किया जाएगा । इस विकास कोष के खाते का संचालन चेक बुक या बैंक एडवाइस से किया जाएगा । चेक संयुक्त हस्ताक्षर से किया जा सकेगा । एक हस्ताक्षर एचएम या प्रभारी एचएम का होगा और दूसरा किसी भी अन्य शिक्षक का होगा । जिसे एचएम प्राधिकृत करेंगे । इसके अलावे अन्य किसी भी तरह खाता नहीं खोला जा सकता है और ना ही खाते का संचालन किया जा सकता है । शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस संबंध में सभी को जरूरी निर्देश दिया है । जिसके आलोक में डीईओ संजय कुमार ने सभी एचएम को विकास कोष के खाता अपने स्कूल के किसी अन्य शिक्षक के साथ संयुक्त रूप से खुलवाने और उसके संचालन का निर्देश दिया है । इन्होंने बताया कि इस विकास कोष खाता का संचालन किसी अन्य तरह से किया जाता है तो वह वित्तीय अनियमितता होगा और इसके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी ।इन्होंने कहा कि विकास खाता का संचालन हर स्कूल में अनिवार्य है और विभाग के द्वारा जारी गाइडलाइन के आधार पर खाता का संचालन किया जाना है अन्यथा वित्तीय अनियमितता के मामले में प्राथमिक की भी दर्ज की जाएगी । जिले के कई अन्य कई स्कूलों में विकास खाता के संचालन के लिए एचएम पर संबंधित क्षेत्र के प्रतिनिधियों का काफी दबाव रहा है । क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने एचएम को अपने आदमी के साथ खाता संचालन के लिए बाध्य कर रहे हैं । जिससे स्कूलों के विकास में लगातार बाधा उत्पन्न हो रही है । क्षेत्र के प्रतिनिधियों के द्वारा स्कूल के शिक्षक के अलावे अन्य लोगों के साथ विकास के खाता संचालन करने के लिए लगातार एचएम पर दबाव बनाया जा रहा है । इस तरह की मिल रही शिकायत के बाद अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सख्त आदेश जारी किया है । जिसके तहत विकास खाता का संचालन संबंधित स्कूल के एचएम और एचएम के द्वारा ही प्राधिकृत एक अन्य शिक्षक के साथ किया जाएगा । इससे इतर विकास कोष के खाता के संचालन किए जाने पर विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ वित्तीय अनियमितता मानते हुए प्राथमिकी दर्ज की जाएगी । अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद कई स्कूलों में हड़कंप मच गया है । वहीं स्कूलों के एचएम ने इससे राहत की सांस ली है । क्योंकि इस खाता के संचालक पर बाहरी दबाव लगातार बनाया जा रहा था । जिससे विकास के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही थी । विभाग के इस निर्णय के बाद स्कूलों में जर्जर चारदीवारी, शौचालय, डेस्क, बेंच और अन्य सुविधाओं की आपूर्ति सहज रूप से स्कूल प्रबंधन के द्वारा किया जा सकेगा ।