मधुबनी- 08 अक्टुबर। कोरोना के दौरान तत्कालीन नगर परिषद में लाखों रुपये की हुई गड़बड़ी मामले में पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चौधरी,सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल झा व अन्य कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शीघ्र ही शुरू होगी। इसके लिए तीन सदस्यीय जांच टीम की अनुशंसा को आधार माना गया है। जिसने कोरोना के दौरान एडवांस राशि निकासी करने और खर्च में अनियमितता की बात को उल्लेखित किया है। जांच कमेटी ने बताया है कि सेनेटाइजर, ब्लिचिंग व अन्य सामानों की खरीदारी में तय प्रावधान की उपेक्षा की गयी। तथा बिना कार्य के ही एडवांस आवंटित कर राशि का बंदरबांट कर लिया गया। कम कीमत वाले सेनेटाइजेशन को अधिक मूल्य में खरीदारी किया गया। बिना जीएसटी बिल के ही लाखों की खरीदारी की गयी। एक ही सामान अलग अलग बिल पर किया गया। इसकी कीमत अलग हो गयी। सीटू जिला मंत्री राजेश मिश्रा ने डीएम व अन्य संबंधित पदाधिकारी को ज्ञापन दिया सौंपा था। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और तीन सदस्यीय जांच कमेटी इसके लिए गठित किया गया। इसमें सदर एसडीएम, डीसीएलआर, कोषागार पदाधिकारी को रखा गया और इस जांच टीम के द्वारा ही रिपोर्ट समर्पित किया गया है। जिसने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन ईओ आशुतोष आनंद चौधरी, सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल झा, पूर्व प्रधान सहायक शंकर झा और अन्य को इसके लिए आरोपी बताया है। डीएम अरविन्द कुमार वर्मा ने इन सभी के खिलाफ विभागीय व अन्य कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं बल्कि सशक्त स्थायी समिति से गठित अनुश्रवण समिति के निर्देश को लगातार एडवांस देने में उपेक्षा की गयी। इस अनुश्रवण समिति के पास अधिकारी एक बार भी नहीं आए और हो रहे खर्च की रिपोर्ट मांगे जाने पर उसे धत्ता बताया गया। इस अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष सह उप मुख्य पार्षद वारिस अंसारी ने बताया अनुश्रवण समिति की बैठक में कभी अधिकारी भाग नहीं लिये और दिये जा रहे अग्रिम और उसके खर्च का ब्योरा देना मुनासिब समझा। इस मद में नप ने 18 लाख की निकासी की गयी है। अग्रिम की राशि 20 मार्च से लेकर 4 जून तक की गयी है। 20 मार्च को 1 लाख 40 हजार, 25 मार्च को 2.5 लाख, 7 अप्रैल को 3 लाख, 29 अप्रैल को 2.5 लाख, 12 मई को 2. 6 लाख तथा 4 जून को 6. 7 लाख रुपए अग्रिम के रूप में दी गई। इसके लिए सेनेटरी इंस्पेक्टर अनिल झा ने 12 लाख 70 हजार 923 का विपत्र प्रस्तुत किया है। लेकिन राशि का सामंजन नहीं हो पाया है। सेनेटाइजेशन के नाम पर प्रति लीटर 660 रूपये खर्च दिखाया गया है। जबकि जिला प्रशासन द्वारा सेनेटाजेशन की खरीदारी ढुलाई के आधार पर 25 से 30 रूपये प्रति लीटर किया गया है। वहीं बिना जीएसटी बिल के ही अधिकतर खरीदारी की गयी। दुकानदारों की माने तो उच्चाधिकारी के आदेश पर ऐसा किया गया है। 210 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर का जीएसटी बिल जमा किया गया है। जबकि 240 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर का बिल बिना जीएसटी का ही प्रस्तुत किया गया है। जबकि एक ही दुकान से खरीद की गई ब्लीचिंग के मूल्य 900 से लेकर 1300 तक दिखाया गया है। यह खरीदारी एक ही दुकान से हुई है। इस दौरान सैनिटाइजेशन रसायन 500 लीटर 4 लाख 4 सौ 40 रुपये की खरीदारी हुई। स्प्रे मशीन 11 पीस 57 हजार 904 के, ब्लीचिंग पाउडर 450 बोरी 5 लाख 5 हजार, चुना 890 बैग 68 हजार 500 के, प्रचार प्रसार पर खर्च एक लाख 68 हजार सहित अन्य मद में खर्च दिखाया गया है। जिस पर 12 लाख 90 हजार 923 रुपए खर्च किए गए हैं।
क्या कहते हैं नगर आयुक्त-
नगर आयुक्त अनिल चौधरी ने बताया कि जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने कार्रवाई का आदेश दिया है। जिसके तहत यहां के कर्मियों के साथ ही तत्कालीन पदाधिकारी को शोकॉज किया गया है। इसके बाद कर्मियों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर और पदधिकारी के लिए विभाग को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदित किया जायेगा। राशि वसूली के लिए भी प्रक्रिया अपनायी जायेगी।
