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JHARKHAND:- उर्दू भाषा के शिक्षकों के पद समाप्त किये जाने का फैसला वापस लिया जाए: माकपा

रांची- 15 जनवरी। माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी उस तुगलकी आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आदेश में उर्दू प्रशिक्षित शिक्षक के शत-प्रतिशत पद एवं स्नातक प्रशिक्षित सहायक शिक्षक संवर्ग के 50 प्रतिशत सीधी नियुक्ति से भरे जाने वाले पद को ”मरणशील” संवर्ग घोषित कर उर्दू शिक्षकों की बहाली पर रोक लगा दी गई है।

विप्लव ने सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि माकपा प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की इस कार्रवाई से हतप्रभ है। क्योंकि निदेशालय का यह कदम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा के अनुरूप नहीं है। साथ ही निदेशालय को यह अधिकार नहीं है कि वह बिना राज्य कैबिनेट के निर्णय के किसी संवर्ग को ”मरणशील” घोषित कर दे।

उन्होंने बताया कि उर्दू भाषा को एकीकृत बिहार के समय से ही राज्य की दूसरी राजभाषा के रूप में मान्यता मिली हुई है। झारखंड बनने की बाद भी सरकारी के गजट में इसकी पुष्टि की गयी है। अब उर्दू शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति किए जाने के बजाय पदों को ही समाप्त करने की साजिश राज्य के उर्दू भाषी लोगों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि माकपा मांग करती है कि मुख्यमंत्री इस मामले में अपने स्तर से हस्तक्षेप कर उर्दू शिक्षकों की बहाली में आए व्यवधान को खत्म किए जाने का आदेश दें।

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Author: lakshyatak

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