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CAA को चुनौती देने वाली नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

नई दिल्ली- 19 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। बेंच ने इस याचिका को पहले से दायर ऐसी ही याचिकाओं के साथ टैग करने का आदेश दिया।

यह नई याचिका गुवाहाटी के नागरिक हिरेन गोहेन ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश से असम में अबाध रूप से आ रहे नागरिकों की वजह से असम के डेमोग्राफी में बदलाव आ गया है। असम के मूल निवासी कभी बहुमत में थे लेकिन आजकल वह अपनी ही भूमि में अल्पसंख्यक बन चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि ये हिन्दू-मुसलमान का मसला नहीं है, बल्कि ये एक विदेशी घुसपैठ का मसला है। ये भारतीय और गैर-भारतीय का मसला है।

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को सुनवाई करते हुए सीएए के अमल पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता मिले तो हमें सुप्रीम कोर्ट में दोबारा आने की अनुमति मिले, इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है। सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील इंदिरा जयसिंह ने सीएए को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा जाए। कोर्ट ने पूछा कि 238 याचिकाओं में से कितने मामले में हमने नोटिस जारी किया है।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इन नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। ओवैसी ने सीएए के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है। आईयूएमएल के अलावा एक याचिका डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने दायर की है। इस याचिका में सीएए को लागू करने से रोकने की मांग करते हुए कहा गया है कि धर्म के आधार पर आप्रवासियों को नागरिकता देने का कानून धर्मनिरपेक्षता के मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन है।

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Author: lakshyatak

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