
‘मन की बात’ जन आंदोलनों का अग्रदूत है : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली- 26 अप्रैल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि ‘मन की बात’ जन आंदोलनों का अग्रदूत है। जनता कर्फ्यू हो या कोरोना योद्धाओं का उत्साहवर्धन ‘मन की बात’ ने इस लड़ाई को जन आंदोलन का रूप दे दिया। ‘मन की बात’ का ही करिश्मा था कि प्रधानमंत्री के एक आह्वान पर कोरोना महामारी के दौरान जनता कर्फ्यू लग गया और लोगों ने पूरा सहयोग दिया।
इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की उपस्थिति में ‘मन की बात @100’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उपराष्ट्रपति ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम को देश में नकारात्मक माहौल में कमी लाने और सकारात्मक भाव में वृद्धि लाने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि विजयादशमी के पावन अवसर पर साल 2014 में प्रधानमंत्री ने मन की बात की एक नायाब शुरुआत की। उनके ‘मन की बात’ हर आदमी के ‘दिल की बात’ बन गई। मन की बात के पिछले एपिसोड ज्ञान बढ़ाने, प्रेरित करने और भारतीय इतिहास व संस्कृति की समृद्धि से रूबरू करवाने वाले हैं।
इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रसार भारती के पूर्व सीईओ एस.एस. वेम्पती द्वारा लिखित ‘कलेक्टिव स्पिरिट, कंक्रीट एक्शन’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी की देशवासियों से की गई बातचीत के आकर्षक पहलुओं का दस्तावेजीकरण करती है।
उपराष्ट्रपति ने कॉफी टेबल बुक ‘माई डियर फेलो सिटीजन्स/मेरे प्यारे देशवासियो…’ का भी विमोचन किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से प्रकाशित की गई पुस्तक प्रधानमंत्री के प्रतिष्ठित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उल्लिखित 100 से अधिक प्रेरक कहानियों की झलक प्रस्तुत करता है।
उपराष्ट्रपति ने पूरी तरह से अराजनैतिक होने के लिए ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रशंसा की और 100 एपिसोड की उपलब्धि को सराहा। उन्होंने मन की बात को हमारी सभ्यतागत लोकाचार का प्रतिबिंब बताया।
उन्होंने कहा कि अब नारी शक्ति के लिए सबसे अच्छा समय है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश अपने योगदान को भूल चुका था और उस भावना को पुनर्जीवित करने में ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री का योगदान उल्लेखनीय है।