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उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में खूब चले वार-प्रतिवार

नैनीताल- 09 नवंबर। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर जिला मुख्यालय में आयोजित हुए कार्यक्रम में वार-प्रतिवार होते देखे गए। इस दौरान औरों के साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने भी 22 वर्षों की असफलताओं की बात की। इनका कहना था कि राज्य में लोग ‘इससे बेहतर तो यूपी में ही थे।’ इस तरह के तीखे बयानबाज लोग फिर से आंदोलन की बात कह रहे हैं और कहीं ऐसा न हो कि राज्य में फिर से यूपी में जाने की बात मुखर हो जाए।

वक्ताओं ने नैनीताल के संदर्भ में नगर के आधार बलियानाला की खूब चर्चा की, और यहां 56 करोड़ रुपए के कार्य होने के बावजूद वर्तमान में 56 लाख के कार्य भी नहीं दिखने की बात कही। इस पर विधायक सरिता आर्य व प्रभारी मंत्री रेखा आर्य ने इसका पुरजोर तरीके से जवाब दिया। सरिता आर्य ने कहा जो 56 करोड़ के कार्य हुए, वह यहीं के लोगों ने किए। वह यहां तक कह गईं कि पैसे तो यहीं के लोगों और ठेकेदारों ने खाए। जिन्हें उन रुपयों की बर्बादी पर आज दर्द हो रहा है, उन्हें वह दर्द तब क्यों नहीं हुआ, जब ये रुपये बर्बाद हो रहे थे। प्रभारी मंत्री रेखा आर्य ने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि 22 वर्षों में क्या-क्या कार्य हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि ये वह कार्य हैं, जिन्हें राज्य बनते वक्त कोई सोच भी नहीं सकता था। साथ ही यह स्वीकारते हुए कि अभी बहुत कार्य होना है, खुद भी प्रदेश में लिंग के आधार पर गर्भ से ही होने वाले भेदभाव को रेखांकित करते हुए प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा ने ‘देवभूमि को देवीभूमि बनाने की भी आवश्यकता’ जताई।

इधर, राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय के ऐतिहासिक डीएसए मैदान में आयोजित कार्यक्रम में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने अपने बैंड के साथ मुख्य अतिथि को सलामी दी। मैदान विभिन्न शासकीय विभागों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से विकासपरक प्रदर्शनी भी लगाई गई। प्रदर्शनी में लगाए गये स्टॉलों से खासकर पर्वतीय-जैविक उत्पादों की खरीद-फरोख्त भी हुई। डीएसए मैदान के ही बास्केटबॉल कोर्ट में हिमालयन फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें परंपरागत पर्वतीय व्यंजनों के साथ उनमें किए गए नए प्रयोग भी देखने को मिले। नैनी झील में पाल नौकाओं की सेलिंग रिगाटा एवं चप्पू वाली नौकाओं की तिरंगे झंडों के साथ कार्निवाल भी निकाली गई जबकि सुबह ‘रन टू लिव’ संस्था के तत्वावधान में दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों को पुरस्कृत तथा मुख्यमंत्री लखपति दीदी योजना की लाभान्वित महिलाओं को प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में डीएम धीराज गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, सीडीओ डॉ. संदीप तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, पूर्व दायित्वधारी शांति मेहरा, सांसद प्रतिनिधि गोपाल रावत, मुन्नी तिवारी, डॉ. रमेश पांडे व पान सिंह रौतेला सहित बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी, सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी एवं विद्यालयी बच्चे उपस्थित रहे।

राज्य आंदोलनकारियों का नहीं हुआ सम्मान, किया कार्यक्रम का बहिष्कार—

कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारी पूरन मेहरा, धरनीधर भट्ट, मनोज जोशी, मुकेश जोशी, हरीश भट्ट व सैयद नदीम मून ने विचार रखे लेकिन कई राज्य आंदोलनकारी खुद को संबोधन का मौका न मिलने पर नाराज दिखे। किसी ने महिला राज्य आंदोलनकारियों को बोलने न देने का आरोप लगाया तो किसी ने केवल मंच को भाजपाई मंच बनाने का आरोप लगाया जबकि संबोधित करने वाले सभी राज्य आंदोलनकारी केवल भाजपाई नहीं थे। आज तो यहां भाजपाई राज्य आंदोलनकारियों ने भी 22 वर्षों में राज्य में हुए कार्यों पर असंतोष जताया। अलबत्ता कई राज्य आंदोलनकारियों ने खासकर डीएम धीराज गर्ब्याल के द्वारा किए जा रहे सौंदर्यीकरण तथा अन्य कार्यों की सराहना भी की। इस मौके पर जहां हल्द्वानी एसडीएम कोर्ट में राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया, वहीं जिला मुख्यालय में ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं रखा गया। राज्य आंदोलनकारियों ने बाद में प्रेस को बयान जारी करके भी कार्यक्रम का भाजपाईकरण करने का आरोप लगाते हुए इसका बहिष्कार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को किसी सम्मानित जगह बैठाने की बजाय आमजन की पंक्तियों में ही बैठाया गया।

नगर पालिका सहित विपक्षी राजनीतिक दलों के लोग नहीं हुए शामिल—

कार्यक्रम में नैनीताल नगर पालिका तथा कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल आदि राजनीतिक दलों की उपस्थिति नहीं अथवा बेहद कम दिखी। मंच से यह टिप्पणी भी की गई कि राज्य आंदोलनकारी भी कम संख्या में आए हैं। सभी उपस्थित राज्य आंदोलनकारियों के नाम भी मंच से नहीं लिये गए। अलबत्ता प्रभारी मंत्री रेखा आर्य ने राज्य आंदोलनकारियों को पिता समान कहते हुए बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जैविक पिता की वजह से वह दुनिया में और राज्य आंदोलनकारियों की वजह से इस मुकाम पर हैं। अलबत्ता कार्यक्रम में स्कूली बच्चों की बड़ी संख्या की वजह से पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक उपस्थिति रही।

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