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राष्ट्रपति ने शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये, कहा-बच्चों की अद्वितीय क्षमताओं को पहचानना और उन्हें विकसित करने में शिक्षकों के साथ साथ माता पिता का भी कर्तव्य

नई दिल्ली-05 सितंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में देश भर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा का किसी के भी जीवन में मौलिक महत्व है। कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं। जिसमें पहला एच हार्ट, दूसरा एच हेड और तीसरा एच हैंड है।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने इन तीनों एच को विस्तार से समझाते हुए कहा कि हार्ट यानी हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती और नैतिकता से है। हेड या सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ने से है और हैंड यानी हाथ का संबंध शारीरिक कौशल और शारीरिक श्रम के प्रति सम्मान से है। ऐसे समग्र दृष्टिकोण पर बल देने से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला शिक्षकों की संख्या अधिक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। राष्ट्र-निर्माता के रूप में शिक्षकों के महत्व को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से बताया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की अद्वितीय क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए और उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। एक कक्षा के 40-50 बच्चों के बीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक के लिए बहुत सौभाग्य की बात है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में रहती है। अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है तो उन्हें इसका एहसास बाद में होता है। उन्हें ज्ञान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना है।

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