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मधुबनी नगर निगम का अनोखा कारनामा,महज ढ़ाई लाख में ही दे दिया करोड़ों की आमदनी का कार्य

मधुबनी। नगर निगम में विज्ञापन एजेंसी के चयन में प्रावधान की हुई उपेक्षा का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। जिस विज्ञापन के टैक्स से निगम को करोड़ों की आमदनी होती उसे केवल महज दो लाख 80 हजार में दे दिया गया है। वह भी नगर निगम अधिसूचित होने के बाद। मालूम हो कि पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चैधरी ने स्थानांतरण के बाद एजेंसी चयन का करारनामा किया है। उनका स्थानांतरण यहां से 31 मार्च को नगर निगम अधिसूचित होने के बाद 19 अप्रैल को हो गया। लेकिन एजेंसी चयन के लिए उन्होंने 30 अप्रैल को करारनामा किया है। बतौर नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी के रुप में सारांश कुमार के साथ करारनामा किया गया है। जिसमें पूरे नगर परिषद में लगाये जाने वाले विज्ञापन का दायित्व उसे सौंपा गया है। वह भी इस एजेंसी को सभी विज्ञापन का एकाधिकार दे दिया गया है। एजेंसी को मार्च 2022 तक का एकाधिकार दिया गया है।
सामने आया मामला-
शहर में विज्ञापन के लिए तीन एजेंसी को दायित्व दिया गया था। नगर विकास और आवास विभाग के विज्ञापन प्रावधान के अुनसार एजेंसी को प्रति एड राशि सुनिश्चित करनी है। एजेंसी जितना विज्ञापन लगायेगा उसके अनुसार हर माह टैक्स नगर निकाय को देगा। लेकिन इस करारनामा में इसका उल्लेख नहीं है, एजेंसी को एकतरफा पूरे शहर के लिए करारनामा कर दिया गया है। चल रही एजेंसी को नयी एजेंसी ने प्रति एड राशि उसे जमा करने की धमकी दिये जाने के बाद मामला सामने आया है। बताया गया कि नगर परिषद के द्वारा पूर्व में उन्हें करारनामा किया गया है। करारनामा पूर्व चेयरमैन और पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा किया गया है। इसमें गवाह के रुप में सुमित कुमार उल्लेखित है। गवाह की पूरी विवरणी इस पर उल्लेखित नहीं है। संचालित एजेंसी ने नगर निगम आकर अपनी आपत्ति जताया और इसकी जानकारी आयुक्त और उपायुक्त सहित सिटी मैनेजर को दिया है।
पांच माह में दो करोड़ से अधिक की क्षति-
निगम अधिसूचित होने के बाद इस करारनामा को किया गया है। जिसमें प्रति एड दर नहीं दिये जाने एवं एकाधिकार दिये जाने से एक आकलन के अनुसार इन पांच माहों में नगर निगम को तीन करोड़ से अधिक की वित्तीय क्षति हुई है। प्रति एड प्रति वर्ग फीट 150 से 300 तक का टैक्स पहले के वर्षो में नगर परिषद को विज्ञापन एजेंसी से होर्डिंग के लिए टैक्स प्राप्त होता रहा है। यह दर स्थान और रूट पर परिवर्त्तन होता है। इसतरह से देखा जाए तो निगम एरिया में जो होर्डिंग लगाये गये हैं,उसका वास्तविक आकलन हो तो प्रति माह इतनी आमदनी जरूर हो जाती कि कर्मियों को हर माह वेतन भुगतान हो जाता।
क्या कहते हैं अधिकारी-
सिटी मैनेजर नीरज कुमार झा ने बताया कि विज्ञापन के लिए एकाधिकार दिया जाना नियम के विपरित है। इससे निगम को वित्तीय क्षति हुई है। पूर्व में इसका करारनामा किये जाने का मामला सामने आया है। आर्थिक क्षति होने और प्रावधान की उपेक्षा किये जाने को लेकर लोगों ने मौखिक रुप से शिकायत की है। इसकी जानकारी उच्चाधिकारी को दिया जायेगा। ताकि विधिसम्मत कार्रवाई हो सके।

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Author: lakshyatak

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