
हाई कोर्ट ने नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि मामले में अपने पूर्व के निर्णय को किया रद्द
मुंबई- 29 नवंबर। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्यमंत्री नवाब मलिक के खिलाफ ज्ञानदेव वानखेड़े की मानहानि याचिका पर सोमवार को अपने पूर्व के निर्णय को रद्द कर दिया। मलिक के खिलाफ मानहानि की यह याचिका एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने दायर की है। जस्टिस शाहरुख काथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने यह फैसला सुनाया। वहीं, मुंबई के मझगांव मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मानहानि के एक अन्य मामले में नवाब मलिक को जमानत दे दी। कोर्ट ने 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर मलिक को जमानत दी। नवाब मलिक ने कहा कि वे अपने आरोपों पर कायम हैं और कोर्ट के समक्ष इससे संबंधित सभी सबूत रखने के लिए तैयार हैं।
मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी की ओर से क्रूज शिप पर दो-तीन अक्टूबर की दरमियानी रात को की गई कार्रवाई को पत्रकार वार्ता कर फर्जी बताया था। नवाब मलिक ने इस कार्रवाई में भाजपा नेता मोहित कंबोज के रिश्तेदार को क्रूज शिप पर से हिरासत में लेने तथा बाद में उन्हें छोड़ दिए जाने का भी आरोप लगाया था। इसके बाद नवाब मलिक ने एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर कई तरह के आरोप लगाए थे। समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने हाई कोर्ट में मंत्री नवाब मलिक के विरुद्ध सवा करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा ठोका था। इस मामले में हाई कोर्ट ने नवाब मलिक को कोई जानकारी हासिल होने पर उसकी सत्यता परखने और इसके बाद संबंधित विभाग में कार्रवाई की मांग करने का निर्देश दिया था। इसके बाद नवाब मलिक के वकील ने समीर वानखेड़े के परिवार के विरुद्ध फिर से बयानबाजी न करने का हलफनामा दायर किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने आज इस मामले को रद्द कर मामले की नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया था, जिसे दोनों पक्षों ने मान्य कर लिया है।
इसी तरह नवाब मलिक के विरुद्ध मोहित कंबोज ने मझगांव मजिस्ट्रेट कोर्ट में मानहानि का मामला दायर किया था। नवाब मलिक इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान आज कोर्ट में उपस्थित हुए और जज पीआई मोकासी ने उन्हें 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। नवाब मलिक ने कोर्ट के बताया कि वे अपने आरोप पर कायम हैं और कोर्ट में ही सबूत पेश करेंगे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 30 दिसंबर तक स्थगित कर दी।



